स्वाती सिंह
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह मिशन ग्रामीण महिलाओं को न केवल आत्मनिर्भर बनाने के दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि वे इसके तहत घर से बाहर निकलकर अपना व्यवसाय भी चला पा रही हैं तथा अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं। मोदी सरकार की इस योजना से महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी सुधरने लगी है और वे अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। आज यह पहल करोड़ों ग्रामीण परिवारों की समृद्धि का स्रोत बन गई है।
मोदी सरकार में स्वयं सहायता समूह हुए सशक्त
भारत में लगभग 1.2 करोड़ स्वयं सहायता समूह हैं, इनमें 88 प्रतिशत ऐसे समूह ऐसे हैं, जिनकी सभी सदस्य महिलाएं हैं। इन समूहों में आमतौर पर 20-25 सदस्य होते हैं, जो ज्यादातर गांवों के निवासी होते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए डीएवाई-एनआरएलएम मिशन ने महिला सशक्तिकरण के लिए एक बड़ा मंच प्रदान किया है। इसकी 2011 से 2014 तक की प्रगति को देखें तो पांच लाख स्वयं सहायता समूह बने थे और सिर्फ 50-52 लाख परिवारों को स्वयं सहायता समूह से जोड़ा गया था। लेकिन 2014 के बाद से इसमें क्रांतिकारी परिवर्तन आया। पिछले नौ वर्षों में स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाने में केंद्र सरकार ने हर प्रकार से मदद की है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि साल 2024 तक करीब 10 करोड़ महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ दिया जाएगा। इतना ही नहीं मिशन के तहत, प्रधानमंत्री ने 2024 तक प्रत्येक स्वयं सहायता समूह की आय को 1 लाख रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य भी रखा है।
मिशन से समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन
सामाजिक आर्थिक और जातिगत जनगणना 2011 के डेटाबेस के अनुसार कम से कम एक तरह के अभाव वाले सभी परिवारों को मिशन के लक्ष्य समूह में शामिल कर लिया गया। इससे महिला स्वयं सहायता समूहों की संख्या तेजी से बढ़ी। तब से अपने नाम और लक्ष्य को चरितार्थ कर रहा यह मिशन समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है। आर्थिक प्रगति के कारण महिलाएं और उनका परिवार गरीबी से बाहर आने लगा है, उनके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार हो रहा है। मिशन की आधारशिला समुदाय आधारित है और ग्रामीण महिलाएं इसके मूल में हैं।
सदस्यों की संख्या 9.09 करोड़ पार
प्रधानमंत्री के इस योजना के प्रति विजन और लक्ष्य है कि हर ग्रामीण परिवार से कम से कम एक महिला इस अभियान से जुड़े। अभी तक सदस्यों की संख्या 9.09 करोड़ को पार कर गई। बैंक लिंकेज 6.57 लाख करोड़ हो गया, एनपीए 1.85 प्रतिशत है। लखपति दीदी की संख्या 1.24 करोड़ से अधिक हो गई तथा यह आंकड़ा प्रत्येक दिन तेजी से बढ़ रहा है।
रोजगार देने वाली बन रही महिलाएं
बेरोजगार का दंश झेलते हुए गृहणी बनकर घर में बैठी महिलाएं अब एक तरफ जहां खुद को स्वावलंबी बना रही हैं। वहीं लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करा रही हैं। कृषि एवं गैर कृषि क्षेत्र में स्वयं सहायता समूह बनाकर मधुमक्खी पालन, बकरी पालन, गो-पालन के साथ साथ दीदी की रसोई का संचालन कर रहीं हैं, जो काफी लाभप्रद साबित हो रहा है। अचार, सत्तू, पापड़, अगरबत्ती, नीरा, मूर्ति कला, ग्रामीण कला सहित अन्य माध्यमों से खुद आर्थिक रूप से सबल हो रही है। महज इतना ही नहीं, स्वावलंबन की राह पर चलकर ये महिलाएं रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही हैं।
योगी सरकार 30 लाख ग्रामीण महिलाओं को बनाएगी लखपति
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अनुरूप योगी सरकार राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक विस्तृत रोड मैप का मसौदा तैयार कर रही है। प्रदेश सरकार स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़ी लगभग 30 लाख ग्रामीण महिलाओं को सूक्ष्म कृषि उद्यमियों के रूप में तैयार करेगी। सरकार ने तीन साल में इन 30 लाख ग्रामीण महिलाओं को लखपति बनाने का लक्ष्य रखा है। राज्य में 10.45 लाख महिला एसएचजी सदस्यों की वार्षिक आय 1 लाख रुपये से अधिक है।
सामाजिक संरचना को मिल रही मजबूती
मिशन से जुड़ी महिलाएं न सिर्फ अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव कर रही हैं बल्कि, इन्होंने सामाजिक संरचना को भी मजबूत करने में बड़ी पहल की है। स्वयं सहायता समूह से जो परिवर्तन प्रत्येक क्षेत्र में आ रहा है। उससे एक बेहतर समाज और सशक्त राष्ट्र बनाने में देश सफल होगा। अपने परिवार को बेहतर जीवन देने के साथ-साथ, देश के विकास को आगे बढ़ाने में जुटी करोड़ों महिलाएं आज स्वयं के साथ-साथ राष्ट्र के विकास की वाहक बन गई हैं।
मिशन ने नारी शक्ति को दी नई पहचान
राष्ट्रीय आजीविका मिशन ने नारी शक्ति को एक नई पहचान और दिशा देने का कार्य किया है। इसके साथ ही छोटे-छोटे समूहों के माध्यम से प्रशिक्षित, प्रेरित, मार्गदर्शित हुई महिलाएं स्वावलंबन की नई राह पर आगे बढ़ रही हैं। 2011 में शुरू किए गए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के परिवारों को लक्ष्य समूह बनाकर दायरे में रखा गया था। लेकिन ये योजना उस समय उतनी असरदार साबित नहीं हुई। इसके बाद जब साल 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी तो योजना का आकलन किया गया। तब जाकर सरकार ने इस योजना को सही आकार दिया और इसका दायरा बढ़ा दिया। इस क्रम में सबसे पहले योजना का नाम बदलकर दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन यानी डीएवाई-एनआरएलएम किया गया।
डीएवाई-एनआरएलएम का उद्देश्य
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, मोदी सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है। ग्रामीण इलाकों के गरीब परिवारों की महिलाओं को स्वयं-सहायता समूहों से जोड़कर उनकी आजीविका के लिए और जीवन स्तर में सुधार के उद्देश्य से यह मिशन शुरू किया गया है। मिशन के तहत स्वयं-सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं प्रशिक्षित होकर अपने समुदाय की अगुआ बन गई हैं, जैसे-कृषि सखी, पशु सखी, बैंक सखी, बीमा सखी, बैंक संवाद सखी आदि। मोदी सरकार द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम को गांवों में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा राज्यों के सहयोग से लागू किया गया है।
(लेखिका- पूर्व मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता हैं।)