स्वाती सिंह

भारत गांवों का देश है और इन्हीं गांवों में हमारे देश की आत्मा बसती है। इनके समग्र विकास के लिए यह जरूरी है कि गांव एक स्वतंत्र इकाई के रूप में काम करे और वित्तीय रूप से सक्षम हो। ग्रामीण इलाकों में वित्तीय आत्मनिर्भरता लाने के लिए स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को वित्तीय सहायता देना एक कारगर कदम साबित हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं सहायता समूहों के जरिए देश की सभी ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए कृतसंकल्पित है। सरकार की विभिन्न योजनाओं से गांवों की अर्थव्यवस्था लगातार बेहतर हो रही है। इसमें महिला स्वयं सहायता समूहों को मजबूत बनाकर ग्रामीण गरीबी को दूर किया जा रहा है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार ने देश की अर्थव्यवस्था को संभाले रखने में अपनी भूमिका निभाई है।
महिला सशक्तिकरण सदैव मोदी सरकार की नीतियों का केंद्र बिंदु रहा है और ये गर्व की बात है कि आज हमारी मातृशक्ति आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। महिला स्वयं सहायता समूहों की यही ताकत आज विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।

भारत में 83 लाख स्वयं सहायता समूह हैं, जिनमें 9 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। पिछले आठ वर्ष में सरकार ने इन महिलाओं को 6.26 लाख करोड़ रुपये वितरित किए हैं। सरकार का लक्ष्य 10 करोड़ महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ने का है। मई, 2014 में यह संख्या मात्र दो करोड़ 35 लाख थी जो अब बढ़कर 09 करोड़ से अधिक हो गई है। जब 10 करोड़ महिलाएं ‘एसएचजी’ सदस्य बन जाएंगी, तब देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि एसएचजी की प्रत्येक सदस्य को लखपति बनाया जाए।

मार्च 2022 तक, करीब 118.3 लाख समूहों और 14.2 करोड़ ग्रामीण परिवारों को सशक्त किया गया है। वर्ष 2020-21 में लगभग 34 लाख समूहों ने विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से लगभग 1000 करोड़ के कर्ज लिए। सरकार ने समूह की प्रत्येक महिला की वार्षिक आय को वर्ष 2024 से पहले 1 लाख रूपए तक करने लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए जरूरी है की ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण जनसंख्या इस प्रयास से जुड़े और इस मुहीम को सफल बनाएं।

भाजपा सरकार की इस मुहिम से ‘स्वाती फाउण्डेशन’ को भी बहुत बल मिला है। ‘फाउण्डेशन’ महिला सशक्तिकरण अभियान के तहत स्वयं सहायता समूह की ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए बीते कई सालों से लगातार कार्य कर रहा है। इससे बड़ी संख्या में महिलाएं अपने स्वरोजगार को बेहतर कर रही हैं।

‘स्वाती फाउण्डेशन’ की ओर से समूह की महिलाओं को सेनेटरी पैड, आर्टीफिशियल ज्वेलरी बनाना, मशरूम कल्टीवेशन, सिलाई-बुटिक, सोलर लाइट असेम्बलिंग आदि विविध कार्यों के चयन हेतु परामर्श प्रदान किया जाता है। स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की आय बढ़ाने के लिए उन्हें सस्ते एवं गुणवत्तापूर्ण कच्चे माल की जानकारी, पैकेजिंग, बाजार का चयन, मार्केटिंग आदि विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा परामर्श सत्र का आयोजन किया जाता है।

इसके अलावा महिलाओं द्वारा चुने गये कार्यों के लिए उन्हें तकनीकि प्रशिक्षण, संबंधित मशीनों के प्रयोग में दक्षता प्रदान करने के लिए विशिष्ट प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण-ट्रेनिंग कार्यक्रमों का संचालन किया जाता है। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार शुरू करने के लिए बैंक से लोन लेने की विशेष जानकारी प्रदान की जाती है। सामान्य एवं ऑनलाइन बैंकिंग, वित्तीय प्रबंधन, ऑडिट, बचत एवं पूंजी निर्माण के लिए शीर्ष वित्तीय संस्थाओं जैसे-नाबार्ड, बैंक ऑफ बड़ौदा, सहकारी बैंक आदि के वित्तीय विशेषज्ञों द्वारा परामर्श प्रदान करने के लिए समयकृसमय पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है।

महिलाओं की इस प्रगति का सबसे बड़ा श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वयं सहायता समूह को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने के लिए दिया जाता है। आज महिला स्वयं सहायता समूह, वित्तीय समावेशन, आजीविका विविधीकरण और कौशल विकास के ठोस विकासात्मक कार्यों में ग्रामीण महिलाओं की क्षमता को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

(लेखिका- पूर्व मंत्री व स्वाती फाउंडेशन की ट्रस्टी व अध्यक्ष हैं। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्यापन का भी कार्य किया है।)