स्वाती सिंह
आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना हर किसी के लिए जरूरी है, खासकर महिलाओं के मामले में ये और भी जरूरी हो जाता है क्योंकि आत्मनिर्भर होने से वह अपने फैसले स्वयं लेने के लिए स्वतंत्र होती हैं। आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना महिलाओं की बहुत सी परेशानियों का हल और उनके आत्मविश्वास का आधार भी है। सुरक्षित जीवन जीने और अपने आत्मसम्मान से समझौता न करने के लिए यह सबसे जरूरी है। ऐसे में तकनीकी क्षेत्रों में महिला श्रमशक्ति की बढ़ती भागीदारी ने उनके जीवन के इस सबसे अहम पक्ष को संबल दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में तकनीक के विस्तार ने देश की आधी आबादी के कामकाजी संसार में तरक्की के नए मार्ग खोले हैं। महिलाएं भी तकनीकी क्षेत्रों में अपनी क्षमता का प्रदर्शन बखूबी कर रही हैं। तकनीकी क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती संख्या इस बात की पुष्टि करती है।
भारत के सामाजिक-पारिवारिक परिवेश में महिलाओं को मिल रहे नए विकल्प विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। दरअसल, हमारे यहां कामकाजी महिलाओं के लिए पेशेवर जिम्मेदारियों के अलावा भी दायित्वों और आम जीवन से जुड़ी समस्याओं की एक लंबी सूची है।
‘नेशनल सेंटर फॉर वुमन ऐंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी’ की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक तकनीक उद्योग के कार्यबल में महिलाओं की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है। पिछले 5 वर्षों में तकनीक की दुनिया में महिलाओं की संख्या में 5 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।
तकनीकी शिक्षा और कामकाजी दुनिया में महिलाओं और बेटियों की संख्या बढ़ रही है। ‘नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस के आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 2017-18 में 17.5 प्रतिशत रही महिला श्रमबल की भागीदारी में 2020-21 तक 25 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में हर क्षेत्र में महिलाओं की मौजूदगी बढ़ी है, पर कृत्रिम मेधा जैसे बिल्कुल नए क्षेत्र में भी 22 फीसद विशेषज्ञ महिलाएं हैं।
मानव विकास के हर दौर में तकनीक का अहम योगदान रहा है। शुरुआती दौर में यह अवधारणा रही थी कि तकनीक के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के मुकाबले कम रही है, लेकिन अब पुरानी मान्यताएं टूट रहीं हैं। तकनीकी विकास ने महिलाओं के जीवन में सकारात्मक असर डाला है। अधिकतर अध्ययन बताते हैं कि आने वाले समय में तकनीकी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी और बढ़ेगी।
स्वाती फाउंडेशन महिलाओं को दिलाता है तकनीकी प्रशिक्षण
‘स्वाती फाउंडेशन’ महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने के सपने को साकार करने में जुटा है। इसके लिए फाउंडेशन द्वारा महिलाओं को समय-समय पर विभिन्न प्रकार के तकनीकी प्रशिक्षण दिये जाते हैं। महिलाओं कोे जिन तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है, उनमें सेनेटरी पैड, आर्टीफिशियल ज्वेलरी, मशरूम कल्टीवेशन, सिलाई-बुटिक, सोलर लाइट असेम्बलिंग आदि शामिल हैं। फाउंडेशन का उद्देश्य एक ऐसी दुनिया बनाने का है, जहां महिलाएं सम्मान के साथ कमाएं और सभी के लिए धन और मूल्य उत्पन्न करें।
(लेखिका- पूर्व मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेत्री)