स्वाती सिंह

नरेन्द्र मोदी सरकार की हर योजना में महिला सशक्तिकरण पर जोर रहता है। यही वजह है कि आज चाहे ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी क्षेत्र सभी जगह महिलाएं प्रगति की ओर अग्रसर हैं। देश की आधी आबादी यानी महिला शक्ति के साथ खड़ी मोदी सरकार लगातार उनके सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक उत्थान में लगी है। केंद्र सरकार लगातार महिलाओं के विकास के लिए बड़े फैसले ले रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने के लिए महात्वाकांक्षी जनधन योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत जीरो बैलेंस पर कोई भी आम आदमी अपना खाता बैंक में खुलवा सकता है। इन खातों से जहां देश के सामान्यजन को आर्थिक आजादी मिली है वहीं सरकारी योजनाओं की सब्सिडी भी डीबीटी के जरिए सीधे उनके खातों में जा रही है, यानी भ्रष्टाचार पर काफी हद तक लगाम भी लगी है।

जन धन योजना ने रचा इतिहास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी जन धन खाता योजना ने इतिहास रच दिया है। देश में जनधन खातों की संख्या अगस्त, 2023 तक 50 करोड़ के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गई है। यह खुशी की बात है कि इनमें से आधे से अधिक एकाउंट नारी शक्ति के हैं। जनधन योजना के तहत 56 फीसद बैंक खाते महिलाओं के खोले गए हैं। इनमें से लगभग 67 फीसदी खाते गांव और छोटे कस्बों में खोले गए हैं। जन धन खातों में कुल जमा राशि 2.03 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि इन खातों से लगभग 34 करोड़ रुपे कार्ड मुफ्त में जारी किए गए हैं। इन जन धन योजना खातों में औसत बैलेंस 4,076 रुपये है। इनमें 5.5 करोड़ खाताधारक डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। इसके साथ ही 8.50 लाख से अधिक बैंक मित्र देश भर में बिना बैंक शाखाओं के लोगों को बैंक की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं।

कुछ देशों की जनसंख्या से ज्यादा हमारे पास जनधन खाते
जन धन योजना की सफलता को दुनिया भी स्वीकार कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानि आईएमएफ स्वयं इस बात को स्वीकार कर चुका है कि जन धन ने बैंक खातों और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच को व्यापक बनाया है। अब कनाडा और ब्रिटेन की कुल जनसंख्या से भी अधिक भारत में जन धन खाते हैं। इतना ही नहीं, इस योजना के पास अपना गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी है। साल 2014 में 23 अगस्त से 29 अगस्त के बीच यानी एक हफ्ते में सबसे ज्यादा 18,096,130 बैंक अकाउंट खोले गए थे।

कोविड महामारी में बना रक्षा कवच
कोविड महामारी के समय 31,000 करोड़ रुपए सीधे जन धन योजना की महिला लाभार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित किए गए थे। इस योजना ने कोविड महामारी में देशवासियों का रक्षा कवच बनकर काम किया था। वर्ष 2020 में लॉकडाउन के दौरान सरकार ने महिलाओं के जनधन खातों में 1500 रुपये ट्रांसफर किए थे।

जन धन योजना के फायदे
जनधन योजना ने पिछले नौ साल में देश की वित्तीय तस्वीर बदलकर रख दी है। इस योजना में अकाउंट खोलने वालों के कई फायदे मिलते हैं। सबसे बड़ी बात है कि इसमें न्यूनतम बैलेंस का झंझट नहीं है। इसके अलावा इसमें मुफ्त रुपे डेबिट कार्ड, 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा और 10 हजार रुपये तक की ओवरड्रॉफ्ट सुविधा भी मिलती है। इस योजना के तहत सरकार बेहद सस्ते दरों पर लोगों को विभिन्न वित्तीय उत्पाद और सेवाएं उपलब्ध कराती है। इतना ही नहीं जनधन खाता धारकों को छात्रवृत्ति सब्सिडी, पेंशन और कोविड राहत फंड डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए सीधे उनके बैंक खातों में मिलती है। जन धन खाते में पैसे जमा करने या निकालने पर कोई चार्ज नहीं लगता। इन खातों में बिना किसी चार्ज के फंड ट्रांसफर होता है और बिना किसी शुल्क के मोबाइल बैंकिंग की सुविधा भी मिलती है। हर परिवार के दो सदस्य शून्य बैलेंस में जनधन खाता खोल सकते हैं।

करोड़ों महिलाओं ने बैंकिंग की दुनिया में रखा कदम
इस योजना के तहत करोड़ों ऐसी महिलाओं ने भी बैंकिंग की दुनिया में कदम रखा है, जो पहले इससे दूर थीं। पहले महिलाओं को लेकर समाज में ये सोच थी कि उन्हें बैंक खातों की क्या जरूरत है? केवल इतना ही नहीं इसे लेकर उनसे तमाम तरह के सवाल-जवाब भी होते थे। जैसे कि उनसे अक्सर ये पूछ लिया जाता था कि पैसा है क्या खाते में डालने के लिए? लेकिन केंद्र में पीएम मोदी की सरकार बनने के बाद लोगों की इस मानसिकता में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। परिणामस्वरूप आज पुरूषों से अधिक जनधन बैंक खाताधारक महिलाएं हैं।

नारी शक्ति के जीवन में एक बड़ा बदलाव
बैंक खाता खोलना एक छोटा कदम लग सकता है, लेकिन यह ‘न्यू इंडिया’ की नारी शक्ति के जीवन में एक बड़ा बदलाव ला रहा है। जन धन योजना ने देश की करोड़ों महिलाओं को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। इस पहल ने खासतौर से नारी शक्ति के जीवन को बहुत प्रभावित किया है। यह योजना केवल बैंक खाते खोलने के बारे में नहीं है, बल्कि यह नई संभावनाओं का द्वार भी बनी है। इसने करोड़ों महिला लाभार्थियों के जीवन को आसान बनाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।

जन धन योजना देश के विकास में मील का पत्थर
नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद 15 अगस्त, 2014 को लाल किले की प्राचीर से देश के नाम अपने पहले संबोधन में जन धन योजना (पीएमजेडीवाय) के तहत गरीब लोगों को बैकिंग सेवा के दायरे में लाने की घोषणा की थी। विश्व की इस सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन योजना का शुभारम्भ 28 अगस्त, 2014 को पूरे देश में किया गया। जन-धन योजना को 9 साल पूरा हो चुके हैं। इन नौ वर्षों में प्रधानमंत्री जनधन योजना ने गरीब के जीवन में एक क्रांति ला दी है। यह देश के विकास में एक अहम मील का पत्थर साबित हुई है।

(लेखिका- पूर्व मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता हैं।)