गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि ‘रक्तदान महादान’ है और ‘‘इस महादान के प्रति लोग स्वतः स्फूर्त भावना से आगे आएं, इसके लिए समाज को जागरूक करने की आवश्यकता है।’’

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में जारी सेवा पखवाड़ा के दूसरे दिन भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने गुरु श्री गोरक्षनाथ ब्लड बैंक में रक्तदान किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ब्लड बैंक पहुंचकर रक्तदान शिविर की शुरुआत की और रक्तदान करने वाले युवाओं का मनोबल बढ़ाया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जानकारी के अभाव में अभी बहुत से लोग रक्तदान के लिए आगे नहीं आते, जबकि किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को रक्तदान करने से कोई दिक्कत नहीं होती। स्वैच्छिक रक्तदान कम होने पर पेशेवर लोग जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने लगते हैं। समाज में रक्तदान के प्रति जागरूकता बढ़ाकर पेशेवरों को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि निश्चित अंतराल के बाद प्रत्येक स्वस्थ्य व्यक्ति को पीड़ित मानवता की मदद के लिए रक्तदान करना ही चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘2005 में गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय में ब्लड बैंक की स्थापना हुई थी। तब ‘ब्लड सेपरेटर’ (रक्त के तत्वों को अलग करने की प्रक्रिया) की व्यवस्था नहीं थी। अब ‘ब्लड सेपरेटर’ होने से जरूरत के अनुसार प्लेटलेट्स, प्लाज्मा आदि अलग-अलग कर रोगियों को उपलब्ध हो रहा है। इससे मरीजों को काफी राहत मिल रही है।’’

मूक बधिर छात्रों से मिलकर भावुक हुए मुख्यमंत्री योगी
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को राजकीय मूक बधिर विद्यालय (संकेत) हुमायुपुर के बच्चों से मिलने पहुंचे। साइन लैंग्वेज (इंटर प्रीटर) के माध्यम से एक-एक बच्चों से उनका नाम, किस कक्षा में पढ़ते और कहा से हैं, बात कर उन्हें उपहार दिया। वहीं, बच्चे भी पहली बार मुख्यमंत्री को अपने बीच पाकर काफी उत्साहित दिखे। काफी देर तक ताली बजाकर उन्होंने सीएम का अभिनंदन किया। बच्चों के इस आत्मीय उत्साह को देखकर सीएम योगी भी भावुक हो गए।

उन्होंने हाथ उठाकर मुस्कुराते हुए सबका अभिवादन स्वीकार किया और बच्चों को आशीर्वाद दिया। मौके पर उपस्थित जिलाधिकारी को विद्यालय आने-जाने के लिए मार्ग बनाने का निर्देश दिया। प्रमुख सचिव मूक बधिर छात्रों के रहने के लिए छात्रावास और चार से सात वर्ष के बच्चों का स्वास्थ्य जांच कराने को निर्देशित किया।