नई दिल्ली। गणेश चतुर्थी यानी मंगलवार से देश की नई संसद का ‘श्रीगणेश’ होने वाला है। यानी 19 सितंबर से संसद की कार्यवाही नए संसद भवन में होगी। इससे पहले सोमवार को संसद के विशेष सत्र का पहला दिन पुराने ही भवन में आयोजित हुआ। इसकी शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से हुई। उन्होंने 50 मिनट के आखिरी भाषण में कई बातों का जिक्र किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद का पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियो को प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने कहा कि ये देश के लिए आगे बढ़ने का समय है। हम भले ही नए संसद भवन में जाएंगे लेकिन पुराना संसद भवन भी लोगों को प्रेरणा देता रहेगा। इसके निर्माण में हमारे देश के लोगों का पैसा और पसीना लगा था। हम ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैँ।

उन्होंने अपने भाषण में पंडित नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और नरसिम्हा राव का भी जिक्र किया। इससे पहले प्रधानमंत्री ने संसद के बाहर मीडिया से बात करते हुए कहा कि ‘यह सत्र छोटा है मगर समय के हिसाब से यह बहुत बड़ा है। ऐतिहासिक निर्णयों का यह सत्र है।’

पंडित नेहरू, नरसिम्हा राव, अटल जी व मनमोहन सिंह का किया जिक्र
पीएम मोदी ने कहा कि नई संसद में सबके विश्वास को लेकर जाने का समय है। उन्होंने कहा कि जो नया विश्वास पाया है उसको लेकर जाने का है। बहुत सी ऐसी बाते हैं जो सदन में हर किसी की ताली की हकदार है लेकिन शायद राजनीति उसमें भी आड़े आ गई। नेहरू के योगदान का गौरवगान इस सदन में होता है तो कौन सदस्य होगा जिसको ताली बजाने का मन नहीं करेगा। लेकिन उसके बावजूद भी देश के लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी है कि हम सब अपने आंसुओं को देखें।

पीएम मोदी ने कहा कि नरसिम्हा राव की सरकार ने हिम्मत के साथ पुरानी आर्थिक नीतियों को छोड़कर नई राह पकड़ने का फैसला किया था, जिसका आज देश को परिणाम मिल रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इसी सदन में देखा सर्व शिक्षा अभियान, आदिवासी कार्यलय मंत्रालय, नॉर्थ ईस्ट का मंत्रालय बनाया। परमाणु परीक्षण भारत की ताकत का परिचायक बन गया। यहीं पर हमने मनमोहन सरकार के दौर में वोट फॉर कैश कांड भी देखा। उन्होंने कहा कि इसी सदन में दशकों से अटके फैसले लिए गए। 370 हटाई गई और एक देश, एक टैक्स का फैसला लिया।

गोलियां खाने वालों को किया नमन
पीएम मोदी ने कहा, इस संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ, पूरे विश्व में ये हमला एक इमारत पर नहीं था। ये लोकतंत्र की मां, हमारी जीवात्मा पर ये हमला था। ये देश उस घटना को कभी भूल नहीं सकता है। लेकिन आतंकियों से लड़ते-लड़ते सदन को बचाने के लिए और सदस्य को बचाने के लिए जिन्होंने अपने सीने पर गोली झेली मैं उन्हें भी नमन करता हूं। वे हमारे बीच में नहीं है, लेकिन उन्होंने बहुत बड़ी रक्षा की।

पत्रकार मित्रों को भी किया याद
इतना ही नहीं पीएम मोदी ने कहा कि, मैं उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं। जिन्होंने जीवनभर संसद को ही कवर किया है। उन्होंने पल पल की जानकारी देश तक पहुंचाई हैं। वे अंदर की भी बात जनता तक पहुंचाते थे और अंदर से अंदर की भी बात पहुंचाते थे। मैंने देखा ऐसे पत्रकारों को जिन्होंने संसद को कवर किया, उनके नाम नहीं जाने जाते होंगे, लेकिन उनके योगदान को भूल नहीं सकते। खबरों के लिए नहीं, भारत की विकास यात्रा को समझने के लिए जानना जरूरी है। एक प्रकार से जैसी ताकत यहां की दीवारों की रही है वैसा ही दर्पण उनके कलम में रही है। पीएम ने कहा कि जैसे मेरे लिए ये सदन छोड़ना भावुक है उसी तरह से उन पत्रकारों के लिए भी वैसा ही भावुक पल होगा।

एक बहुत बड़ी श्रृंखला ने इस सदन का नेतृत्व किया
पीएम मोदी ने देश को आगे बढ़ाने में देश के पहले पीएम पंडित नेहरू का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू, शास्त्री वहां से लेकर अटल से लेकर मनमोहन सिंह तक एक बहुत बड़ी श्रृंखला जिसने इस सदन का नेतृत्व किया और सदन के माध्यम से देश को दिशा दी है। देश को नए रंग रूप में ढालने के लिए उन्होंने परिश्रम किया है, पुरुषार्थ किया है। आज उन सबका गौरवगान करने का अवसर है। सरदार वल्लभ भाई पटेल, लोहिया, चंद्रशेखर, आडवाणी न जाने अनगिनत नाम जिन्होंने हमारे इस सदन को समृद्ध करने में, चर्चाओं के समृद्ध करने में, देश के सामान्य से सामान्य से सामान्य व्यक्ति को ताकत देने का काम किया है।

इंद्रजीत गुप्ता से लेकर बर्क का किया जिक्र
पीएम मोदी ने कहा कि इस सदन में इंद्रजीत गुप्ता थे। 43 साल तक इस सदन में रहे। उन्होंने कहा कि इस सदन की शान है कि शफीर्कुर रहमान 93 साल में इस सदन में अपना योगदान दे रहे हैं। 25 की चंद्रमणि मुर्मू इस सदन की सदस्य बनी थीं। वाद-विवाद कटाक्ष ये सबकुछ हम सबने अनुभव किया है। हम सबने शुरू भी किया है।

पीएम ने पुरानी संसद के साथ भावनाओं का जिक्र किया
पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं पहली बार इस संसद का सदस्य बना तो मैंने सहज रूप से इस संसद की सीढ़ी पर शीश झुकाकर नमन किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि वो पल मेरे लिए भावनाओं से भरी हुई थी। मैं कल्पना नहीं कर सकता था। लेकिन भारत के लोकतंत्र की ताकत है, भारत के सामान्य मनुष्य की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा है कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला बच्चा इस देश का पीएम बनेगा।

जी-20 में भारत पर कुछ लोगों को था शक
पीएम मोदी ने काह कि जी-20 की सफलता किसी व्यक्ति विशेष की सफलता नहीं है। ये भारत की सफलता है। पीएम ने कहा कि भारत जब जी-20 का अध्यक्ष रहा तो अफ्रीकी यूनियन इसका सदस्य बना। कितनी बड़ी अपेक्षा और आशा पूरी करने का काम भारत के हाथ में आया। भारत के प्रति शक करने का एक स्वभाव कई लोगों का बना हुआ है। इस बार भी यही था। कोई घोषणा पत्र नहीं होगा, असंभव है.. लेकिन ये भारत की ताकत है कि वह भी हुआ और विश्व सर्वसम्मति से एक साझा घोषणा पत्र लेकर आगे बढ़ा।

पुराना भवन भी देगा प्रेरणा
पीएम मोदी ने कहा कि हम भले ही नए भवन में जाएंगे लेकिन ये भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। पीएम ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता के लिए इस सदन के माध्यम से हम इस देश के वैज्ञानिकों और उनके साथियों को बधाई देता हूं और उनका अभिनंदन करता हूं।