स्वाती सिंह

जो कोई न कर सका, वह सब करने के लिए प्रधानसेवक के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास कर जनता ने सत्ता सौंपी है। जनता के हर एक इच्छाओं की पूर्ति एक-एक कर होता जा रहा है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में हर दिन इजाफा हो रहा है। नई ससंद में प्रवेश करते हुए ही आधी आबादी को उनका अधिकार देने की प्रतिबंद्धता प्रधानमंत्री ने सर्वोपरि माना और नई ससंद में पहला बिल ही महिला आरक्षण को लेकर पेश किया गया, जो इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।

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प्रधानमंत्री द्वारा पेश किये नारी शक्ति वंदन बिल पर पहले तो मैं सभी महिलाओं की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देती हूं। वास्तव में महिलाओं की पूर्ण भागीदारी अब होगी, जब वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लोकसभा में देश की तरक्की में नीति नियंता बनेंगी। हमें याद है 1996 में 13 दलों की गठबंधन वाली यूनाइडेट फ्रंट सरकार ने इस दिशा में पहली कोशिश की थी।

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तत्कालीन कानून मंत्री रमाकांत डी खलप ने संविधान के 81वीं संशोधन के लिए संसद में एक बिल पेश किया। इसके तहत संविधान में दो नए कानून अनुच्छेद 330ए और 332ए जोड़ा जाना था। जनता दल समेत सरकार को समर्थन देने वाली कई पार्टियों ने इस बिल का विरोध कर दिया। सरकार इससे घबराकर बिल को 31 सांसदों वाले एक संयुक्त समिति के पास विचार करने के लिए भेज दिया गया।

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इसके बाद 1998 से 2004 के बीच कई बार अटल बिहारी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने सदन से इस बिल को पास कराने की कोशिश कई बार की थी। पहली बार 13 जुलाई 1998 में कानून मंत्री एम थंबी दुरी ने लोकसभा में इस बिल को पेश किया, जिसका राजद, सपा समेत कई दलों ने विरोध किया। राजद सांसद सुरेंद्र प्रसाद यादव ने स्पीकर जीएमसी बलायोगी के हाथ से बिल की कॉपी को छीनकर फाड़ दिया था।

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इसके बाद 11 दिसंबर 1998 को एक बार फिर लोकसभा में इस बिल को पेश करने की कोशिश हुई। तब सपा सांसद दरोगा प्रसाद स्पीकर के पोडियम तक पहुंच गए। इस वक्त धक्का-मुक्की की स्थिति बन गई। आखिरकार सरकार ने एक बार फिर अपना हाथ पीछे खींच लिया। 23 दिसंबर 1998 को आखिरकार सदन में इस बिल को पेश करने में सरकार कामयाब रही। इस समय भी सपा, बसपा समेत कई दलों ने जोरदार विरोध दर्ज कराया।

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हमें वह दिन भी याद है, जब 8 मार्च 2010 की दोपहर को राज्यसभा में अफरा-तफरी मची थी। समाजवादी पार्टी के सांसद नंद किशोर यादव और कमाल अख्तर चेयरमैन हामिद अंसारी की टेबल पर चढ़ गए और माइक उखाड़ने की कोशिश की। समाजवादी पार्टी ने पूरे सदन में अराजकता का माहौल पैदा कर दिया था। राष्ट्रीय जनता दल के एक सदस्य ने बिल की कॉपी फाड़कर चेयरमैन की तरफ उछाल दी।

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लोक जनशक्ति पार्टी के साबिर अली और निर्दलीय सांसद एजाज अली ने भी डिस्कशन रोकने की कोशिश की। अगले दिन यानी नौ मार्च 2010 को हंगामा करने वाले सभी सात सदस्यों को सस्पेंड कर दिया गया और मार्शल उन्हें पकड़कर बाहर ले गए। इसके बाद विधेयक पर वोटिंग हुई। इसके पक्ष में 186 मत पड़े और विरोध में सिर्फ एक वोट। बसपा ने वॉक आउट किया था और टीएमसी ने वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया। उसके बाद से 13 साल हो गए, ये बिल लोकसभा में पास नहीं हो सका। इसके बाद आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे लोकसभा में नए सिरे से पेश करने की कोशिश की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को नए ससंद भवन में पहले कानून को पेश करने का एलान किया। नए ससंद भवन के साथ ही यह महिला बिल के रूप में इतिहास याद करेगा। यह भी निश्चित है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो ठान लिया, उसको कर दिया। इसको भी लेकर पूरा विश्वास है कि अब पहले का जमाना नहीं रहा, जब सपा के लोग बिल फाड़ दिया करते थे। यह बिल इस बार पास हो जाना लगभग तय है और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी स्वर्णीम अक्षरों में अंकित हो जाएगा।

मंगलवार को बिल को पेश करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश करने जा रही है। पीएम मोदी ने इसके लिए विपक्षी दलों से सहयोग मांगा और कहा कि 19 सितंबर का ये दिन इतिहास में अमर होने वाला दिन है। इसके बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सदन में यह विधेयक पेश किया। इसमें महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण का एलान किया गया। बताया गया है कि लोकसभा में अब महिलाओं के लिए 181 सीटें आरक्षित होंगी।

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यदि सही मायनों में देखा जाय तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरू से ही महिला कल्याण को पहली प्राथमिकता देते रहे हैं। उनका मानना है कि महिलाओं की प्रगति के बिना पूर्ण विकसित होने की परिकल्पना व्यर्थ है। इसी आधार पर उन्होंने उज्ज्वला योजना के तहत करोड़ों महिलाओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखा और आज आंकडे बताते हैं कि महिलाओं के स्वास्थ्य में उज्ज्वला के कारण सुधार हुआ है।

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जनधन खाता खुलवाकर गरीब महिलाओं को धन बचत के लिए प्रेरित किया। गरीबों को पक्का मकान देकर उनके रहने की व्यवस्था की। जब समय आया तो उन्होंने राजनीति में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए बिल पेश कर दिया। यही नहीं वोट की चिंता किये बगैर उन्होंने तीन तलाक पर बिल लाकर मुस्लिम बहनों के लिए भी इतिहास रच दिया।

(लेखिका- पूर्व मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता हैं।)