स्वाती सिंह
जिनका दिन सूर्योदय से पहले शुरू होता है और सूर्यास्त के बाद भी जारी रहता है, वो भारत की महिला किसान हैं। देश में हर रोज करोड़ों की संख्या में महिलाएं खेतों की ओर रूख करती हैं और वे खेती की रीढ़ मानी जाती हैं। खेती का केन्द्र बिन्दु ही महिलाएं हैं। गांवों में महिलाएं किसान भी हैं, खेतिहर मजदूर भी और साथ में घर-परिवार सम्भालने वाली कुशल गृहणी भी।
आज ग्रामीण महिलायें सिर्फ चूल्हे-चौके तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अपने परिवार के पालन-पोषण के लिये अब खेत-खलिहानों से जुड़ती जा रही हैं। घरों की दहलीज को लांघकर और समाज की रूढ़िवादी बेड़ियों को तोड़ते हुए आज महिला किसान नवाचार और तकनीकों का भी इस्तेमाल कर रही हैं। खेती के साथ-साथ महिला किसानों ने पशुपालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन और फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में भी अपार सफलता हासिल की है। आज दूसरी महिलायें भी सफल महिला किसानों से प्रेरित होकर तरक्की की राहत पर चल पड़ी हैं।
कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव कहा जाता है और इस नींव को मजबूती देने में महिला शक्ति की आधी भागीदारी है। आज देश में तमाम ऐसी सफल महिला किसान हैं, जिन्होंने कृषि क्षेत्र में वो बुलंदियां हासिल की हैं कि पुरूष वर्ग भी उन पर फक्र करता है। नई-नई तकनीकों का प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाएं कृषि क्षेत्र में अच्छा पैसा और नाम कमा रही हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि खेती-बाड़ी के तमाम कार्यों में महिलाओं की बराबर की भागीदारी से कृषि क्षेत्र सबल और सुदृण हुआ है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की आर्थिक स्थिति में भी काफी सुधार आया है।
बच्चों के साथ फसल का भी पालन-पोषण कर रहीं महिलाएं
गांवों में महिलाएं बच्चों के अलावा फसल का भी पालन-पोषण और देखभाल भी पूरी निष्ठा से कर रही हैं। कृषि क्षेत्र की रीढ़ महिला किसानों के सशक्तिकरण के लिए केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकारें जागरूकता अभियान भी चलाती हैं, जिससे महिलाएं खेती को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए और ज्यादा प्रोत्साहित हों। इतना ही नहीं कृषि क्षेत्र में असाधारण योगदान देने वाली महिलाओं किसानों को केन्द्र और राज्य सरकारें सम्मानित भी करती हैं।
कृषि क्षेत्र में पुरूषों से ज्यादा महिलाएं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। भारत की जनगणना 2011 के आंकड़े बताते हैं कि देश में छह करोड़ से अधिक महिला किसान हैं। आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के 2021-22 का डेटा बताता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 76 फीसद महिलाएं कृषि क्षेत्र में काम करती हैं। वहीं, पुरुषों का प्रतिशत मात्र 51 फीसद है।
समाज के लिए प्रेरणादायक
महिलाओं के खेती की ओर बढ़ते कदम वास्तव में समाज के लिए प्रेरणादायक हैं, क्योंकि महिलाओं ने कृषि क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। ग्रामीण महिलाओं के कदम जब आगे की ओर अग्रसर होते हैं, तब बदलाव का माहौल विकसित होता है, जिसे महिला किसानों ने अपने श्रम से सिद्ध करके दिखाया है।
महिला किसानों को ताकत दे रही मोदी सरकार
कृषि से जुड़ी महिलाओं की वर्तमान स्थिति में सुधार करने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के एक उप घटक के रूप में “महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना” (एमकेएसपी) शुरू की। इससे लाखों महिला किसानों को फायदा पहुंच रहा है। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को कृषि में अधिकार संपन्न बनाना है।
सरकार ने चलाईं कल्याणकारी योजनाएं
कृषि क्षेत्र में महिला किसानों की भागीदारी बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है, जिनमें पुरूषों के मुकाबले महिला किसानों को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है। अब किसानों को खेती के साथ-साथ एग्री बिजनेस मॉडल यानी कृषि से जुड़े व्यवसायों से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए कृषि क्लिनिक एवं एग्री बिजनेस केंद्र योजना भी चलाई जा रही है, जिसके तहत लिए गए बैंक लोन पर सब्सिडी पुरुषों के लिए 36 फीसद, जबकि महिलाओं के लिए 44 फीसदी है।
इसके अतिरिक्त इंटीग्रेटेड स्कीम ऑफ एग्रीकल्चर मार्केटिंग के तहत स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में पुरुष किसानों को 25 फीसदी की तुलना में महिलाओं के लिए 33.33 फीसदी तक की सहायता दी जाती है। कृषि मशीनीकरण में मशीनों की खरीद पर महिलाओं को 10 फीसदी ज्यादा आर्थिक सहायता मिल रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत पौध संरक्षण एवं आधुनिक इक्यूपमेंट्स के लिए पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को 10 फीसदी अधिक आर्थिक मदद दी जा रही है। इसके अलावा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए किसानों की तरक्की सुनिश्चित की जा रही है।
15 अक्टूबर को राष्ट्रीय महिला किसान दिवस
केन्द्र सरकार किसानों के कल्याण और विकास के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए नीतियों और योजनाएं के केन्द्र में न केवल किसानों को आगे रखा गया है, बल्कि खेतिहर महिलाओं को विशेष तरजीह देकर अन्नदाता को घरेलू मोर्चे पर आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का काम भी किया जा रहा है। खेतिहर महिलाओं की कृषि में भूमिका और योगदान को रेखांकित करने के लिए हर साल 15 अक्टूबर को राष्ट्रीय महिला किसान दिवस भी मनाया जाता है। इस दिन प्रगतिशील महिला किसानों को सम्मानित भी किया जाता है। निश्चित तौर पर सरकार की इस फैसले से महिला किसानों की आर्थिक तरक्की के नए विकल्प तैयार हो रहे हैं। साथ ही देश कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर भी हो रहा है।
देश के इन 9 राज्यों में सबसे अधिक महिला किसान
महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना एमकेएसपी के आंकड़ों के अनुसार, देश के 9 राज्यों में सबसे अधिक महिला किसान हैं। इनमें महाराष्ट्र पहले स्थान पर है। यहां कुल 24,02709 से अधिक महिला किसान हैं। जबकि उड़ीसा दूसरे नंबर पर है। राज्य में 18,6397 से अधिक महिलाएं कृषि से जुड़ी हैं। मध्य प्रदेश में 16,09497 और आंध्र प्रदेश में 15,63,934 से ज्यादा महिला किसान हैं। इसके अलावा कर्नाटक में 14,43,559, आसाम में 14,23,243, गुजरात में 13,07278 और तमिलनाडू में 12,30,797 महिला किसान हैं।
किसानों को 6000 रुपये दे रही मोदी सरकार
मोदी सरकार की ओर से किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना चलाई जा रही है। जिससे करोड़ों किसानों को फायदा मिला है। इस योजना के अंतर्गत पात्र किसानों को सालाना 6 हजार रुपये देने का प्रावधान है और इस पैसे को साल में 3 बार 2-2 हजार रुपये के रूप में दिया जाता है। 2,000 रुपये की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है। इसी कड़ी में इस बार 14वीं किस्त मिलनी है। पीएम किसान योजना 1 दिसंबर 2018 से लागू हुई थी।
महिलाओं को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण
महिलाओं को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘स्वाती फाउंडेशन’ की ओर से विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिए जाते हैं। जिसमें मशरूम उत्पादन से संबंधित प्रशिक्षण भी शामिल है। सबसे खास बात यह है कि यह ट्रेनिंग निःशुल्क प्रदान की जाती है। ट्रेनिंग के बाद अधिकांश महिलाएं मशरूम उगाकर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। मशरूम के उत्पादन की सबसे खास बात यह है, कि इसे कम जगह या एक कमरे में भी शुरू किया जा सकता है।
(लेखिका- पूर्व मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता हैं।)