स्वाती सिंह
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार कृषि संकट का समाधान, किसानों की पैदावार और उनके आर्थिक हालात को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने किसानों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए लगातार कृषि कल्याणकारी योजनाओं और नवाचारों को बढ़ावा दिया है और किसान हित में ऐतिहासिक निर्णय भी लिए हैं। जिससे अन्नदाताओं में विश्वास बढ़ा है और देश आत्म-निर्भरता की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए देश का कृषि बजट 9 सालों में 5 गुना बढ़ा है, जो अब बढ़कर 1.25 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
कृषि क्षेत्र दिन प्रतिदिन किसानों की अथक मेहनत, वैज्ञानिकों की कुशलता व प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार की किसान हितैषी नीतियों के कारण विकसित हो रहा है। सरकार की लगातार कोशिश किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और उनकी आमदनी दोगुना होने पर है। आजादी के इतने दशक बाद यह ऐसी सरकार आई है जो किसानों के दर्द और जरूरतों को समझती है। इसलिए उसने गत नौ वर्षों में बीज से बाजार तक किसानों के लिए नई व्यवस्थाओं का निर्माण कर दिया है।
भारत आज विकास की एक अभूतपूर्व अद्धितीय यात्रा का साक्षी है। गत नौ वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। देश के मेहनती किसान भाई-बहनों के योगदान से कृषि क्षेत्र भी इस विकास यात्रा में अपना योगदान दे रहा है।
किसानों के हितों के लिए समर्पित केन्द्र सरकार ने मिट्टी की जांच और सिंचाई से लेकर खाद तक, बीज और बीमा से लेकर बाजार तक, क्रेडिट कार्ड से लेकर सम्मान निधि और एफपीओ से लेकर किसान समृद्धि केन्द्र जैसी कई पहलों से किसानों को लगातार मजबूती दी है। सरकार की प्रतिबद्धता एवं जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय की कई योजनाओं और कार्यक्रमों से देश के किसानों की दिशा व दशा बदल रही है, जिससे कृषि क्षेत्र में नए कीर्तिमान भी बन रहे हैं।
इसी कड़ी में आज राजस्थान के सीकर में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने खेती की जरूरतों में किसानों की मदद के लिए किसान सम्मान निधि योजना की 14वीं किस्त जारी की। 8.5 करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खातों में सीधे 17 हजार करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई। इस किस्त को जोड़ दें तो अब तक 2.60 लाख करोड़ से भी ज्यादा रुपये किसानों के बैंक खातों में सीधे भेजे गए हैं। इस योजना के तहत सरकार हर साल किसानों के बैंक खाते में 2-2 हजार रुपए की तीन किस्तों में 6000 रुपए ट्रांसफर करती है।
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने 1.25 लाख पीएम किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) राष्ट्र को समर्पित किया। देश भर में जिला, गांव और ब्लॉक स्तर पर कुल 2 दो लाख 80 हजार प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केन्द्र बनाने की योजना है। इन केंद्रों पर खेती से जुड़ी अनेक सुविधााएं जैसे-उर्वरक, बीज, कीटनाशक, मशीनरी, मिट्टी-बीज परीक्षण, उपकरण सहित सरकारी योजनाओं की जानकारी एक ही स्थान पर मुहैया कराई जाएंगीं। पीएम ने मिट्टी में सल्फर की कमी दूर करने और फसलों की लागत कम करने के लिए यूरिया की एक नई किस्म ‘यूरिया गोल्ड’ लॉन्च किया। साथ ही किसानों को बिचौलियों से बचाने और उनकी फसल को उचित दाम के साथ बाजार उपलब्धता प्रदान करने के लिए ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) पर 1600 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को शामिल किया।
17 करोड़ किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ
बारिश या ओलावृष्टि के कारण जब एक किसान की फसल खराब होती है तो सबसे ज़्यादा प्रभाव उनकी आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। फसलों के खराब होने का असर केवल किसान पर ही नहीं होता बल्कि पूरा इको सिस्टम और ग्रामीण अर्थव्यवस्था इससे प्रभावित होती है। ऐसे में केंद्र सरकार किसानों के फसल के नुकसान की भरपाई के लिए पीएम फसल बीमा योजना चला रही है। योजना के तहत बुवाई के पहले से और फसल की कटाई के बाद तक के लिए बीमा सुरक्षा मिलती है। 18 फरवरी, 2016 में शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक 17 करोड़ किसान इस योजना का लाभ ले चुके हैं, जिन्हें देश भर में कुल 26000 हज़ार करोड़ के प्रीमियम पर 1 लाख 32 हज़ार करोड़ रुपये का प्रीमियम बांटा जा चुका है।
11 करोड़ किसानों को दिए किसान क्रेडिट कार्ड
खेती-किसानी में बुवाई से लेकर फसलों की बिक्री तक के कामों में अच्छा-खासा पैसा लग जाता है। किसानों के पास इतनी जमा पूंजी नहीं होती कि वो एक सीजन की खेती बिना किसी परेशानी के कर लें। अकसर कई किसानों को पैसों की तंगी के कारण बीच में ही खेती छोड़नी पड़ जाती है। पैसों से जुड़ी ऐसी ही समस्याओं के समाधान के तौर पर सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना चलाई है। पूरे भारत में लगभग 11 करोड़ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं। इस योजना के तहत किसानों को सस्ती ब्याज दरों पर लोन की सुविधा दी जाती है। किसान क्रेडिट कार्ड पर किसानों को शॉर्ट टर्म लोन दिया जाता है। साथ ही समय पर लोन उतारने पर सब्सिडी भी दी जाती है।
हर खेत को मिलेगा पानी
‘हर खेत को पानी’ सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चलाई जा रही है। इस योजना में साल 2015-16 से 76.07 लाख हेक्टेयर खेत कवर किए गए हैं। इसमें 57.5 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। इसमें नाबार्ड के तहत, 5,000 करोड़ रुपये का सूक्ष्म सिंचाई कोष बनाया गया है। 2021-26 के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए 93,068 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
इन दिनों पानी की बढ़ती कमी के कारण सरकार बूंद-बूंद सिंचाई मॉडल पर काम कर रही है। इसके लिए टपक और फव्वारा सिंचाई तकनीक पर किसानों को सब्सिडी भी दी जाती है।
23 करोड़ से ज्यादा किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी
मिट्टी की सेहत जानने और पोषक पोषक तत्वों के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना चलाई है। अभी तक 23 करोड़ से ज्यादा किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए हैं। इस योजना के तहत किसानों को अफने खेत की मिट्टी का सैंपल लेकर मृदा जांच लैब में भेजना होता है। जिसके बाद लैब की तरफ से मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाता है। इस कार्ड में मिट्टी की कमियां, मिट्टी की आवश्यकता, सही मात्रा में खाद-उर्वरक, कौन सी फसल लगाएं जैसी तमाम जानकारियां मौजूद होती हैं।
प्रधानमंत्री कुसुम योजना
भारत में अब सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है। इससे बिजली की बचत तो होती ही है, साथ सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करके अच्छा पैसा भी कमा सकते हैं। कृषि और किसानों को भी सौर ऊर्जा कई फायदे मिलते हैं। इससे खेतों की सिंचाई आसान हो जाती है। इस काम को आसान और किफायती बनाने के लिए पीएम कुसुम योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत किसानों को खेत में ही सोलर पैनल लगवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे कि सौर ऊर्जा पंप से सिंचाई का काम आसानी से हो जाए और किसान बिजली उत्पादन करके अतिरिक्त आमदनी भी ले सकें। पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पंप खरीदने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें 30-30 प्रतिशत अनुदान देती हैं। बाकी 30% भुगतान के लिए किसानों को लोन की सुविधा दी जाती है। इस तरह सिर्फ 10 फीसदी खर्च में किसान सोलर पैनल लगवा सकते हैं।
पीएम किसान मानधन योजना
एक किसान का जीवन पूरी तरह से कृषि पर ही आधारित होता है। किसान खेत-खलिहान देखते हुए बड़े होते हैं। यहीं मेहनत करते हैं और अपने प्राण भी छोड़ देते हैं। कई बार जिंदगीभर मेहनत करके भी किसान अपने बुढ़ापे के लिए जमापूंजी नहीं जुटा पाते, जिससे अपने रोजाना के खर्चे पूरा कर सकें। किसानों की इस समस्या को केंद्र सरकार ने समझा और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना चलाई है। इसे किसान पेंशन योजना भी कहते हैं, जिसके तहत 18 से 40 साल उम्र वाले किसानों को शामिल किया गया है। हर वर्ग का किसान इस योजना में आवेदन कर सकता है, जिके बाद हर महीने 55 से 200 रुपये का अंशदान देना होगा। इसके बाद किसान की उम्र 60 साल होने पर सरकार की तरफ से 3,000 रुपये महीने यानी 36,000 रुपये सालाना पेंशन दी जाती है।
राष्ट्रीय कृषि बाजार या ई-नाम
किसानों को बिचौलियों के शोषण से मुक्ति मिले और वो अपनी फसलों को वाजिब दाम पर बेच सकें, इसके लिए भी केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम योजना चलाई है। इस योजना के तहत किसान घर बैठे फसल की बोली लगाकर देश के किसी भी कोने में अपनी उपज को मनचाही कीमत पर बेच सकते हैं। दरअसल, ई-नाम एक ऑनलाइन ट्रेडिंग पोर्टल है, जिस पर किसान को अपनी पंजीकरण और फसल की जानकारी देनी होती है। इसके बाद पोर्टल पर मौजूद कृषि व्यापारी खुद किसान की उपज की बोली लगाते हैं। इसके बाद किसान के ऊपर है कि वो जिस भी कीमत पर चाहे, जहां भी चाहे अपनी उपज बेच सकता है। ऑनलाइन उपज की बिक्री के बाद खुद व्यापारी किसान के पास आकर उपज को ले जाता है। इस तरह किसान का भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा भी बच जाता है। यहां शोषण की संभावना नहीं रहती, क्योंकि मंडी व्यापारियों, डीलरों और आढ़तियों के भी लाइसेंस बनाये जाते हैं।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन
मौसम की अनिश्चितताओं के कारण पारंपरिक फसलों में नुकसान बढ़ता जा रहा है। धान से लेकर गेहूं जैसी नकदी फसलें मौसम की मार झेल रही हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। यही वजह है कि अब केंद्र सरकार ने किसानों को फल, फूल, सब्जी, जड़ी-बूटी समेत बागवानी फसलों की खेती की तरफ बढ़ने की सलाह दी है। इस काम में राष्ट्रीय बागवानी मिशन किसानों के लिए मददगार साबित हो रहा है। इस योजना के तहत किसानों को बागवानी फसलों की खेती के लिए आर्थिक मदद, सब्सिडी, लोन और ट्रेनिंग दी जाती है। इन फसलों की खेती करने से किसानों को कम समय में ही पैदावार मिल जाती है। साथ ही, बागवानी में आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक विधियों को अपनाने से जोखिम बी कम हो जाता है।
खेती की लागत को बचा रही सरकार
केंद्र सरकार खेती की लागत भी बचा रही है। देश में यूरिया की जो बोरी 266 रुपये में मिलती है, वही बोरी पाकिस्तान में 800, बांग्लादेश में 720 एवं चीन में 2,100 रुपये में मिलती है। अमेरिका में यह बोरी 3,000 रुपये में मिल रही है।
पैक्स के जरिए 25 तरह की सेवाएं किसानों को पहुंचाना शुरू
केंद्र सरकार किसानों को मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर देने के लिए देश भर में ग्रामीण अंचलों में स्थापित प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) पर कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की सेवाएं शुरू करने का निर्णय लिया है। इससे सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों को तुरंत मिल सके। जबकि, पैक्स पर खाद-बीज, कीटनाशक और दवाओं की बिक्री की शुरुआत करने के साथ ही ग्रामीण इलाकों से जुड़ी 25 तरह की अन्य गतिविधियां भी संचालित की जाएंगी। देशभर में 1 लाख से ज्यादा पैक्स हैं, इनमें से 6,000 से अधिक पैक्स पर यह सेवाएं शुरू हो चुकी हैं, जबकि 58,000 पैक्स पर इन सेवाओं की शुरुआत की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
किसानों को सालाना 50 हजार की मदद
किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत मिले, इसे लेकर केन्द्र सरकार शुरू से बहुत गंभीर रही है। पिछले 9 साल में एमएसपी को बढ़ाकर, एमएसपी पर खरीद कर 15 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा किसानों को दिए गए हैं। हिसाब लगाएं तो आज हर वर्ष केंद्र सरकार साढ़े 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक खेती और किसानों पर खर्च कर रही है। इसका मतलब है कि प्रतिवर्ष हर किसान तक सरकार औसतन 50 हजार रुपये किसी ना किसी रूप में पहुंचा रही है। यानी भाजपा सरकार में किसानों को अलग-अलग तरह से हर साल 50 हजार रुपये मिलने की गारंटी है। सरकार ने फर्टिलाइजर सब्सिडी पर 10 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए हैं।
किसानों के लिए 3 लाख 70 हजार करोड़ का पैकेज
सरकार गन्ना किसानों के जीवन में मिठास घोलने के लिए प्रतिबद्ध है। गन्ना किसानों के लिए उचित और लाभकारी मूल्य वर्ष 2023-24 के लिए अब 315 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो इसका अब तक का सर्वाधिक मूल्य है। इसका लाभ देशभर के हमारे करोड़ों गन्ना किसान भाई-बहनों को होगा।
700 लाख टन की नई भण्डारण क्षमता बनाने का संकल्प
अनाज के भण्डारण की सुविधा की कमी से लंबे समय तक खाद्य सुरक्षा और किसानों का बहुत नुकसान हुआ है। अब केंद्र सरकार दुनिया की सबसे बड़ी भण्डारण योजना लेकर आई है। बीते अनेक दशकों में देश में करीब 1,400 लाख टन से अधिक की भण्डारण क्षमता हमारे पास है। आने वाले 5 वर्षों में लगभग 700 लाख टन की नई भण्डारण क्षमता बनाने का सरकार संकल्प है। किसानों के हित में सरकार का बहुत बड़ा कदम है। इससे देश के किसानों का सामर्थ्य बढ़ाएगा और गांवों में नए रोजगार पैदा होंगे।
(लेखिका- पूर्व मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता हैं।)