-प्रधानमंत्री मोदी ने दिव्यांगजनों  के लिए किया सबसे ज्यादा काम : स्वाती सिंह

-स्वाती फाउंडेशन ने कनुभाई सहित 80 दिव्यांगों को किया सम्मानित

लखनऊ, 25 सितम्बर। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर सोमवार को  ‘स्वाती फाउंडेशन’ की ओर से पद्मश्री कनुभाई हसमुख भाई टेलर सहित 80 दिव्यांगजनों और उनके लिए काम करने वाले समाजसेवियों को सम्मानित किया गया।

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इस अवसर पर कृष्णानगर स्थित एक होटल में ‘आंशिक दिव्यांगता को पूर्ण दिव्यांगता में परिवर्तित सम्बंधी रोकथाम’ विषय पर राष्ट्रीय सेमीनार आयोजित हुआ, जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से आए विशेषज्ञों ने अपने शोध परक विचार रखे। साथ ही दिव्यंगता से संबंधित सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, चिकित्सीय एवं तकनीकी पक्षों पर गहन चर्चा हुई।

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कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि ‘डिसेबल वेलफेयर ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ के संस्थापक कनुभाई टेलर ने कहा कि यदि मानसिक रूप से स्वस्थ हैं, तो दिव्यांगता हमारे कामों में अवरोध नहीं उत्पन्न कर सकती। प्रकृति ने यदि कोई बाधा उत्पन्न की है तो निश्चय ही वह कोई अच्छी विशेषता भी देती है। उसे हमें उसे निखारने की जरुरत है।

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उन्होंने अपना उदाहारण देते हुए कहा कि मुझे ही देख लीजिए, भगवान ने दोनों पैर से दिव्यांग बना दिया लेकिन उसके बाद भी मैं मन से कभी नहीं हारा और पूरे समाज के काम आ रहा हूं। हम सभी को पहले मन को जीतना चाहिए। यदि मन पर विजय है तो दिव्यांगता को कभी भी हरा सकते हैं।

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उन्होंने कहा कि मुझे पद्श्री मिलने से ज्यादा खुशी आज आप सभी से मिलकर हो रही है। बता दें कि पद्मश्री कनूभाई टेलर दिव्यांग होते हुए भी अपना जीवन गुजरात में दिव्यांजन को समर्पित कर दिया और उन्होंने वहां बहुत बड़े-बड़े काम किए हैं।

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स्वाती फाउंडेशन की अध्यक्ष और पूर्व मंत्री स्वाती सिंह ने कहा कि प्रकृति जिस भी व्यक्ति को शारीरिक रुप से अक्षम बनाती है, उसको निश्चय ही कुछ विशेष दिव्य दृष्टि देती है। उसको पहचानने की जरूरत है। उसको पहचान कर जो चला वह अपनी दिव्यांगता पर हावी हो गया और वह कर बैठा जो शारीरिक रूप से स्वस्थ भी नहीं कर सकते।

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स्वाती सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक सबसे ज्यादा दिव्यांगजनों के लिए काम किया है। उन्होंने आत्मसम्मान का भाव भरने के लिए सबसे पहले विकलांग शब्द को दिव्यांग कर दिया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने अनेकों कार्यक्रम चलाए, जिससे आज दिव्यांगजन आत्मनिर्भर हो रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय चाहते थे कि अंतिम पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति को सरकार की योजनाओं को पूरा लाभ मिले। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार पंडित दीनदयाल के जीवन, व्यक्तित्व एवं विचारों पर चलते हुए उनके सपनों को साकार कर रही है।

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उन्होंने सूरदास का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने बाल रूप में एक बार सूरदास का हाथ पकड़कर बाधा को पार कराया था। उसके बाद छोड़कर जाने लगे तो तुरंत सूरदास ने उन्हें पहचान लिया और कहा कि आपने हमको इतना निर्बल समझ लिया है। अगर आप इतने सबल हैं तो मेरे मन और आत्मा से निकलकर देखिए। उन्होंने कहा कि हर दिव्यांगजन को सूरदास से प्रेरणा लेनी चाहिए। कहा,  समाज आगे आये और दिव्यांगजनों की मदद करे। मैं भी दिव्यांगजनों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहती हूं।

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स्वाती सिंह ने दिव्यांगजन को उनकी दिव्य-शक्ति का एहसास कराने के लिए संस्कृत का श्लोक पढ़ा, मूंक करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिं। यत्कृपा तमहं वन्दे परमानंद माधवम।। यानि श्री कृष्ण की कृपा से जो गूंगे होते हैं वो भी बोलने लगते हैं, जो लंगड़े होते है वो पहाड़ों को भी पार कर लेते हैं।

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इससे पहले विशिष्ट अतिथि समाजसेवी मिताली बनर्जी ने कहा कि चिकित्सा देखभाल के साथ पुनर्वास कार्यक्रम के जरिए अस्थायी दिव्यांगता को स्थायी दिव्यांगता में बदलने से रोका जा सकता है।

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समारोह में अमर भानूशाली ने वर्चुअल जुड़कर डिजिटली दिव्यांग मरीजों की सहायता, देखाभाल के तरीके बताए।

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इसरो के गगनयान मिशन से जुड़े डॉ. मूर्ति रमिला ने डिजिटल माध्ययम से ज्यादा से ज्यादा दिव्यांग जनों को जोड़कर उनकी सहायता और देखभाल करने पर अपने विचार रखे।

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इस अवसर समाजसेवी सविता सिंह, बिंदू प्रभा, डा. सुनील बिझला, कमलेश मौर्य मृदुल, लक्ष्मीकांत सिरके, हुसैन रजा, विजय सिंह विष्ठ मनोज गुप्ता, पीके वर्मा आदि को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रोफेसर नागेश्वर राव (जीएनएलयू), डॉ. राजकुमार (एसजीपीजीआई), डॉ. रतन श्रीवास्तव (बीएचयू) आदि विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

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