-स्वामी विवेकानंद के ही एक रूप हैं नरेन्द्र मोदी
-एक नरेन्द्र थे जिन्होंने राष्ट्रभाव को जगाया, दूसरे नरेन्द्र के काल में विश्व गुरु की ओर बढ़ रहा भारत
-विचार स्वामी विवेकानंद के, कार्य नरेन्द्र मोदी के
-स्वामी विवेकानंद के विचार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्य
(विवेकानंद की जयंती पर विशेष)
स्वाती सिंह
विरेश्वर या नरेन्द्र नाथ दत्त अथवा स्वामी विवेकानंद के आदर्शों पर चलना ही उनके लिए सच्ची श्रद्धाजंलि के साथ ही भारत के चतुर्दिक विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने एक बार कहा था-“यदि आप भारत को जानना चाहते हैं तो विवेकानन्द को पढ़िये। उनमें आप सब कुछ सकारात्मक ही पायेंगे, नकारात्मक कुछ भी नहीं।” हकीकत में देखिए तो सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, बौद्धिक के साथ ही आर्थिक रूप से भारत के विकास का विचार आप स्वामी विवेकानंद के विचारों में देख सकते हैं। आने वाले समय में यह भी कहा जाएगा कि आपको भारत में जागरण पर हुए कार्य देखने है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल के इतिहास को पढ़िए।
स्वामी विवेकानंद कहा करते थे, “उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता।” इस संदर्भ में देखें तो आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसको चरितार्थ कर रहे हैं। कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने का मामला हो या आर्थिक रूप से विश्व के साथ तालमेल बैठाकर चलने का। हर एक काम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संकल्पों को पूरा करने के लिए बिना थके, बिना रूके चलते रहते हैं। उन्होंने जो भी संकल्प लिया उसे पूरा किया। युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की प्रधानमंत्री ने एक मुहिम छेड़ रखी है। आज उसका प्रतिफल दिखने लगा। पूरा देश आत्मनिर्भर की ओर बढ़ चला है।
पहले रक्षा के लिए हम पूरी तरह से विदेशी हथियारों पर निर्भर रहते थे, आज भारत की कंपनियां आगे आयीं और हम आत्मनिर्भर बनने लगे हैं। टैंक अब अपने देश में तैयार होने लगे हैं, जो पूर्णतया हमारी जरूरतों के हिसाब से हैं। एक तरह से देखा जाय तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो भी सपने देखे, उसे पूरा किये बिना चैन की नींद नहीं लिये। एक लक्ष्य को पूरा करने के लिए हर वक्त उस पर मंत्रणा करना, उसके लिए लगाये गये अधिकारियों से संपर्क साधे रखना, यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की खासियत है।
अब शिक्षा के क्षेत्र में ही स्वामी विवेकानंद का एक वक्तव्य देखें, “शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक का शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक विकास हो सके।” वहीं स्वामी जी का एक दूसरा विचार भी देखा जा सकता है, जिसमें वे कहा करते थे, “शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक के चरित्र का निर्माण हो, मन का विकास हो, बुद्धि विकसित हो तथा बालक आत्मनिर्भर बने।” हमारे देश में अब तक की शिक्षा रटी-रटाई आधार पर थी। उससे बच्चों के भविष्य को आत्मनिर्भर बनाने का कोई सपना नहीं देखा जा सकता था, लेकिन प्रधानमंत्री ने आते ही बच्चों में आत्मबल देने का काम शुरू कर दिया और नई शिक्षा नीति आज के वैश्विक दृष्टिकोण को दृष्टि में रखकर ला दिया।
नई शिक्षा नीति में बच्चों को आत्मबल देने, बुद्धि को विकसित करने, आत्मनिर्भर बनाने पर जोर देती है। इस दृष्टि से स्वामी विवेकानंद के सपनों को पूरा कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आत्मनिर्भर भारत के सपनों को साकार करने में जुटे हुए हैं। इससे पहले की सरकारें कभी भी दस वर्ष बाद की नीति पर विचार नहीं करती थी। इसका कारण था, भविष्य में पता नहीं कौन प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठेगा। वे हमेशा अपनी कुर्सी को बचाए रखने के लिए काम करते थे। इस कारण मतदाताओं पर तत्कालिक प्रभाव डालने वाली नीतियां ही बनायी जाती थीं।
दूसरे संदर्भों में कहें तो उनमें राष्ट्रभक्ति की भावना नहीं, अपनी कुर्सी से प्रेम कभी भावना थी। पहली बार नदियों को जोड़ने और सड़कों का वृहद स्तर पर जाल बिछाने की योजना को मूर्त रूप देने वाले अटल बिहारी वाजपेयी लंबे समय की योजनाओं को लेकर आये। उन्होंने विश्व के दबाव के बावजूद परमाणु परीक्षण कर अपनी क्षमता की दिखाया।
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तो हर योजना में राष्ट्रवाद की भावना झलकती है। हर योजना में वे गरीबों का ख्याल करते हैं। युवाओं के लिए वे पुराने लीक से हटकर विश्व के साथ तालमेल बैठाने के लिए हर तरह की कोशिश कर रहे हैं, जो आज साकार होता दिख रहा है। प्रतिभाओं की प्रतिभा निखार में हर समय मदद के लिए तैयार रहते हैं, जिससे नये-नये स्टार्ट-अप हर रोज देखने को मिल रहा है। वे दिन-रात सिर्फ विकास ही नहीं, चतुर्दिक विकास की बात सोचते हैं। यह कारण है कि भारत आज हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहा है। विवेकानंद के सोच को साकार कर रहा है।
नरेन्द्र नाथ को एक वक्तव्य बहुत ही प्रसिद्ध है। वे कहा करते थे, “पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है, फिर विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार लिया जाता है।” उनके इस विचार से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान को जोड़कर देखें। नरेन्द्र मोदी जब प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद पहली बार झाड़ू उठाये तो विपक्ष ने इसका जमकर उपहास उड़ाया। कई लोग मजाक में कहा करते थे, अब उनके जिम्मा यही काम रह गया है। इसे तवहीन की दृष्टि से कई लोग देखते थे। आज उसका हर तरफ असर देखने को मिल रहा है। पहले दुकान पर चाय पीने के बाद प्लास्टिक गिलास फेंकने के लिए डस्टबिन नहीं ढूढता था, लेकिन आज अधिकांश लोग किसी भी कबाड़ को सड़क फेंकना नहीं चाहते। वे इसके लिए डस्टबिन ढूढते हैं। यह धीरे-धीरे ही सही जागरूकता का सबसे बड़ा उदाहरण है। आज लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक हो चुके हैं। आज कोई इसका उपहास नहीं उड़ाता।
हकीकत में देखा जाय तो प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के लिए एक विजन दिया है। युवाओं में उन्होंने प्रेरणा दी है, जो आगे भी उनका मार्ग प्रशस्त करता रहेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनीति से हटकर एक जन जागरण अभियान चलाया, जो राष्ट्रहित के लिए बहुत बड़ा योगदान है। प्रधानमंत्री एक राजनीतिक व्यक्ति के रूप में नहीं, अधिकांश व्यक्तियों के दिल में एक अपनापन का भाव लेकर घुस चुके हैं, जो राष्ट्रभावना के लिए प्रेरित कर रहा है। लोगों को आगे बढ़ने के लिए उद्वेलित कर रहा है। जो लोग कल तक नौकरी करते थे, उसमें भी बहुतेरे मिल जाएंगे, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्रभावित होकर आज नौकरी देने वाले हो गये हैं।
यदि नरेन्द्र नाथ का परिचय देखें तो 12 जनवरी 1863 को जन्में नरेंद्र बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। उनकी माता भुवनेश्वरी धार्मिक विचारों की महिला थीं। उनके घर में नियमपूर्वक रोज पूजा-पाठ होता था। इसका प्रभाव नरेन्द्र पर गहरे रूप से पड़ा था। तीस वर्ष की आयु में ही स्वामी ने शिकागो, के विश्व धर्म सम्मेलन में हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और उसे सार्वभौमिक पहचान दिलवायी। यह धार्मिक प्रवृत्ति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी बचपन से मिला है। स्वामी जी का विचार था, ‘ बालक एवं बालिकाओं दोनों को समान शिक्षा देनी चाहिए।’ इस विचार को प्रधानमंत्री ने कुर्सी संभालते ही बल देना शुरू कर दिया। बच्चियों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाय, इसके लिए तमाम योजनाएं चलाईं, जिससे वे पिता के लिए बोझ न साबित हों।
विवेकानंद ने कहा था, “चिंतन करो, चिंता नहीं, नए विचारों को जन्म दो।” इस परिप्रेक्ष्य में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र को कसौटी पर कसा जाय तो खरा उतरता है। कोई भी प्रधानमंत्री हो, यदि वह कोई नया विचार लाता तो उसके लिए उसकी टांगें कांप जाती। जनता के आक्रोश का भय सताता रहता, इस कारण भारत में नई योजनाओं, नये विचारों का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पहले अभाव सा रहा। कुछ नये विचार व कार्य हुए लेकिन वे नगण्य ही थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुर्सी पर बैठते ही नये विचारों के साथ नए युग की शुरूआत कर दी। सफाई अभियान से शुरू हुए कार्य 370 हटाने जैसे साहसिक काम ने सिद्ध कर दिया कि जो बड़े-बड़े लोगों को सोचने मात्र से दिल कांप जाते, उसे कैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिना कुछ बोले घंटे भर में लोकसभा में पारित करा दिया और जम्मू-कश्मीर में कोई अशांति नहीं हुई।
(लेखिका- पूर्व मंत्री व स्वाती फाउंडेशन से जुड़ी हैं। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्यापन का भी काम किया है।)