-पूर्व मंत्री ने मातृ दिवस के उपलक्ष पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, बच्चों को दें अपनी संस्कृति की शिक्षा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की पूर्व मंत्री स्वाती सिंह ने शनिवार को यहां सृष्टि के निर्माण में अहम योगदान देने वाली मातृशक्ति को नमन किया। उन्होंने ‘मातृ दिवस’ (14 मई) के उपलक्ष्य में अर्जुनगंज स्थित आइडियल एलीमेंट्री इंटर कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कहा कि इस जगत में जो कुछ है, उसकी तुलना किसी दूसरे से की जा सकती है। सिर्फ एक ‘मां’ है जिसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। वह सबसे ऊपर है। बच्चे की हर शक्ति के पीछे मां का हाथ होता है। मां को हटा दिया जाए तो जीव जगत की कल्पना ही नहीं की जा सकती।

बच्चे पर अधिक अंक लाने का दबाव न डालें
पूर्व मंत्री ने अभिभावकों से अपील करते हुए कहा कि वह अपने बच्चे पर अधिक अंक लाने का दबाव न डालें, क्योंकि प्रत्येक बच्चा अपने आप में खास होता है। सभी की काबिलियत एक जैसी नहीं होती, लेकिन सबमें कोई न कोई खास गुण जरूर होता है। जरूरत है तो बस उसे पहचानने की। उन्होंने कहा कि जब बच्चा संस्कारवान होगा तो अच्छे नंबर खुद-ब-खुद आ जायेंगे।

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राम ने मां की इच्छा पूरी करने के लिए ठुकरा दी राजगद्दी

स्वाती सिंह ने ‘रामायण’ का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवान राम ने मां की इच्छा पूरी करने के लिए राजगद्दी को ठुकरा दिया और 14 वर्ष के वनवास पर चले गए। उन्होंने मंत्री रहते हुए बनारस और सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र में स्थित वृद्ध आश्रम में जाने का अनुभव साझा किया। साथ ही अभिभावकों से बच्चों के साथ वृद्ध आश्रम में जाने की अपील करते हुए कहा कि जब आप वहां जाकर बुजुर्गों से बात करेंगे तो पता चलेगा कि उनमें ज्यादातर लोग काफी पढ़े-लिखे और अच्छे पदों पर रहे हैं। इनके बच्चे भी वर्तमान में अच्छे पदों पर रहकर ठीक-ठाक पैसे कमा रहे हैं। ऐसे लोगों ने माता-पिता को अपने साथ रखने में असमर्थता जताई और वृद्ध आश्रम में छोड़ गए। बनारस के वृद्ध आश्रम में कई बुजुर्ग महिलाओं ने बातचीत में बताया कि वह अपने बच्चे के पास नहीं जाना चाहती हैं, क्योंकि वह यहां ज्यादा सुखी हैं।

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स्वाती सिंह ने कहा कि ये वो मां हैं जिन्होंने नौ महीने अपनी कोख में रखकर बच्चे को जन्म दिया और जब वही मां कह दे कि उसे अपने बच्चे के साथ नहीं रहना तो इससे बड़ा दुर्भाग्य उस बच्चे के लिए कुछ नहीं हो सकता। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण कही न कही संस्कृति की कमी है, जिसे हमें समझना होगा। महर्षि वेदव्यास ने कहा है कि दस उपाध्यायों से बढ़कर एक आचार्य होता है, सौ आचार्यों से बढ़कर पिता होता है, और पिता से हजार गुणा बढ़कर माता होती है।

मां ने पहचानी आइंस्टीन की प्रतिभा

उन्होंने महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का उदाहरण देकर समस्त माताओं को समझाया कि एक बच्चे के जीवन में माँ की क्या भूमिका होती है। उन्होंने बताया कि आठ साल की उम्र में स्कूल प्रशासन ने आइंस्टीन को एक पत्र दिया। वह पत्र उन्हें सिर्फ अपनी मां को देने के लिए कहा गया। वह घर आए और अपनी मां पत्र दिया, जिसे पढ़कर वह रोने लगी। उसमें लिखा था आपका बेटा मंदबुद्धि है। हमारा स्कूल ऐसे बच्चे के लिए नहीं बना है। आपका बच्चा हमारे स्कूल के योग्य नहीं है। अच्छा होगा कि आप अपने बच्चे को घर पर ही पढ़ायें। लेकिन मां ने आइंस्टीन से झूठ बोलते हुए कहा कि पत्र में लिखा है कि उनका बेटा विलक्षण प्रतिभा से भरा और बहुत बुद्धिमान है। हमरे पास कोई ऐसा कोई शिक्षक नहीं, जो आपके बेटे को पढ़ा पाये।

मां के देहांत के बाद एक दिन दूसरे घर में शिफ्ट होते समय अल्बर्ट आइंस्टीन को स्कूल का वही पत्र मिला। पत्र में लिखी बातें पढ़कर अल्बर्ट आइंस्टीन फूट-फूट कर रोने लगे।
स्वाती सिंह ने कहा कि अगर उस वक्त मां पत्र में लिखी बातें बात देती तो वह बच्चा शायद महान वैज्ञानिक नहीं बन पाता। आज अल्बर्ट आइंस्टीन को मानव इतिहास का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति कहा जाता था। उन्होंने 20वीं सदी के प्रारंभिक समय में विज्ञान जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई और आज भी उनका नाम विज्ञान के क्षेत्र में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। ये तो सभी को पता है कि इन्होंने कई खोज की, जिनके आधार पर समय, अंतरिक्ष और गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत दिए।

बांसुरी स्वराज में मां की छवि

पूर्व मंत्री ने भाजपा की दिग्गज नेता रही पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ दस माह तक किए गए कार्यों को साझा किया। उन्होंने कहा कि मंत्री रहने के दौरान सुषमा जी से बहुत कुछ सीखने को मिला। सुषमा स्वराज के देहांत के बाद पार्टी ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए शोक सभा आयोजित की। शोक सभा में बेटी बांसुरी स्वराज बोली तो वहां मौजूद सभी लोगों ने एक स्वर में कहा कि बांसुरी में मां की छवि दिखती है।

कभी न करें बच्चों की बुराई

उन्होंने कहा कि अपने बच्चे की बुराई कभी नहीं करनी चाहिए। माता-पिता अपने बच्चे के मन को टटोलें और उनकी रुचि के अनुसार ही उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। श्रीमद् भागवत गीता में कहा गया है, बच्चे की पहली गुरू मां होती है। पूर्व मंत्री ने कहा कि हर मां को अपने बच्चे की अच्छाई और बुराई पता होती है और उसे सुधारने का काम भी मां का ही है। उन्होंने कहा कि मैंने अपने दोनों बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार पढ़ने दिया। उनकी बेटी ने पहले प्रयास में क्लैट परीक्षा उत्तीर्ण की और आज देश के पांचवें नंबर की लॉ यूनिवर्सिटी के पढ़ रही है।

मां हमेशा करती थी मनोज मुंतशिर की तारीफ

स्वाती सिंह ने मुंबई में मशहूर गीतकार, कवि और पटकथा लेखक मनोज मुंतशिर से भेंट का किस्सा साझा किया। उन्होंने कहा कि मनोज की मां सभी से कहती थी उनका बेटा सबसे अच्छा है। मां की कही वह बात मनोज के दिल और दिमाग में बैठ गई। परिणामस्वरूप आज पूरी दुनिया में लोग मनोज मुंतशिर को जानते हैं।

बच्चे का मागदर्शन करें माता-पिता

पूर्व मंत्री ने कहा कि बच्चे का एक लक्ष्य निर्धारित करने में माता-पिता को उसका मागदर्शन करना चाहिए। बच्चा भी धीरे-धीरे अपने लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास जारी रखे। ऐसा करने पर अगर बच्चा आपका नाम रोशन न करे तो मैं अपना नाम बदल दूंगी।

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मेधावी छात्रा शिवांशी तिवारी हुई सम्मानित

इस दौरान स्वााती सिंह ने यूपी बोर्ड परीक्षा में प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 8वां स्थान प्राप्त करने वाली आइडियल एलीमेंट्री इंटर कॉलेज की मेधावी छात्रा शिवांशी तिवारी को सम्मानित कर बधाई दी।

विद्यालय के एमडी डॉ. एस.सी. शुक्ला ने कहा कि मातृ दिवस हर वर्ष मई माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है किन्तु विद्यालय में इसका आयोजन आज किया गया। उन्होंने कहा कि मातृ शक्ति को परिभाषित नहीं किया जा सकता, मां और बच्चे का रिश्ता बेहद खास होता है। मां के समर्पण व प्रेम का मूल्य चुकाना असंभव है।

इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व मंत्री स्वाती सिंह, डॉ. एस.सी. शुक्ला, कार्यकारी प्रबंधक डॉ. विकास शुक्ला, प्राचार्य श्रीमती सुधा सिंह व विजय तिवारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। इस मौके पर छात्र-छात्राओं ने माताओं को समर्पित गीतों पर मनमोहक नृत्य, लघु नाटिका प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में सैकड़ों माताएं मौजूद रहीं।