स्वाती सिंह
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश की बागडोर संभालने के बाद भारत की तस्वीर और गरीबों की तकदीर बदल गई है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने पिछले नौ सालों में गरीबों के दर्द को उनके लिए नई-नई योजनाएं चलाकर दूर किया है। गरीबों के लिए सरकार की ओर से चलाई जा रही कई योजनाओं की तारीफ आज अंतरराष्ट्रीय फलक पर हो रही है। इनमें एक ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ (पीएमएवाई) भी है। जिसके जरिये गरीब परिवारों का अपना खुद का आशियाना होने का सपना साकार हुआ है। योजना के तहत बेघरों को बुनियादी सुविधाओं से लैस पक्का मकान मिलने से गरीबों का गरिमामय जीवन सुनिश्चित हो रहा है।
गरीब परिवारों को मिले 4 करोड़ से अधिक पक्के घर
पीएम मोदी की सरकार गरीब कल्याण के लिए पिछले नौ वर्षों से समर्पित होकर काम कर रही है। इन नौ सालों में 4 करोड़ से अधिक पक्के घर गरीब परिवारों को मिल चुके हैं। स्वतंत्र भारत के इतिहास में गरीबों के लिए आवास निर्माण की ऐसी क्रांति पहले कभी नहीं दिखी। सबसे खास बात यह है कि इनमें करीब 70 प्रतिशत घर महिलाओं के नाम पर हैं। वहीं, शहरों में रह रहे गरीबों के लिए 75 लाख से अधिक घर बनाए गए हैं। इन नए घरों के निर्माण में पारदर्शिता के साथ-साथ इनकी गुणवत्ता में भी सुधार किया गया है। इन आवासों की कीमत लाखों रूपए है। इस तरह प्रधानमंत्री ने बीते नौ वर्षों में देश में करोड़ों महिलाओं को लखपति बनाया है, क्योंकि उनके नाम पर पहली बार कोई सम्पत्ति दर्ज हुई है।
2024 तक 2.95 करोड़ पक्के घरों का लक्ष्य
योजना के तहत 2024 तक 2.95 करोड़ पक्के घरों का लक्ष्य रखा गया है। पीएमएवाई (शहरी) योजना के तहत अब तक 118.9 लाख घरों को मंजूरी दी जा चुकी है। वहीं, 76.02 लाख मकान पूरे हो गए हैं। इसके लिए केंद्र सरकार ने 1,48,033 करोड़ रुपए की सहायता जारी की है।
इसी तरह पीएमएवाई (ग्रामीण) योजना के तहत अब तक 2 करोड़ 93 लाख 43 हजार 228 मकान स्वीकृत किये जा चुके हैं। योजना के तहत अब तक 2 करोड़ 41 लाख 88 हजार 537 मकान पूरे हो गए हैं। केंद्र सरकार ने 3,08,597.8 करोड़ रुपए की सहायता जारी की है।
पीएमएवाई गरीबों के लिए वरदान
हर इंसान के लिए उसका अपना घर होना उसकी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा सपना होता है। इस सपने को साकार करने के लिए लोग काफी कुछ करते हैं। घर के खर्च ज्यादा और आमदनी कम होने के कारण लाखों परिवारों के लिए यह सपना मात्र सपना बनकर ही रह जाता है। ऐसे परिवारों के सपनों को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना किसी वरदान से कम नहीं है।
नारी शक्ति का सशक्तिकरण
एक समय तक खासतौर पर ग्रामीण परिवारों में महिलाएं सिर्फ घर की चारदीवारी तक ही सिमटी रहीं, उन्हें घर के काम के अलावा किसी भी फैसले में शामिल नहीं किया जाता था। खुद के नाम पर घर होना तो काफी दूर था। पिता के बाद पति और फिर बेटे के नाम पर घर या संपत्ति होने की परंपरा अब टूट रही है। पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 74 प्रतिशत से अधिक घरों का स्वामित्व या तो अकेले या संयुक्त रूप से महिलाओं के पास है। साफ है कि घर के स्वामित्व के जरिए महिलाओं के सशक्तिकरण ने घरेलू आर्थिक निर्णयों में उनकी भागीदारी बढ़ाई है।
पीएम आवास महिला सशक्तिकरण का प्रतीक
देश के हर गरीब को पक्का मकान देने के संकल्प को साकार करने की दिशा में मोदी सरकार लगातार अग्रसर है। गरीब और वंचित परिवार पूस और छप्पर के मकान के आगे खुद के लिए कुछ सोच ही नहीं पाता था। लेकिन मोदी सरकार ने उनके लिए पक्का मकान का लक्ष्य रखा और सिर्फ पक्की छत ही नहीं बल्कि मूलभूत सुविधाओं से युक्त इन घरों से न केवल गरीबों को गरिमामय जीवन मिल रहा है बल्कि ये आवास आज महिला सशक्तिकरण का प्रतीक भी बन चुके हैं। खास बात ये है कि बनाए गए घर शौचालय, बिजली, पानी का कनेक्शन, गैस कनेक्शन से लैस हैं।
रोजगार के मिल रहे अवसर
पीएम आवास योजना के तहत देश के अलग-अलग क्षेत्रों में ग्रामीणों के लिए पक्के मकान का निर्माण हो रहा है। ये लाखों निर्माण हर स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहे हैं। विभिन्न निर्माण सामग्री के अलावा, विभिन्न क्षेत्रों के लिए कई अन्य आर्थिक अवसरों के साथ-साथ राजमिस्त्री के कुशल श्रमिक रोजगार सृजित किए गए।
2014 से पहले आवासों की थी बुरी हालात
2014 से पहले जो सरकार थी उसने शहरों में गरीबों को घर देने के लिए दो योजनाएं चलाई। इन योजनाओं के तहत शहरी गरीबों के 8 लाख घर बनाए गए लेकिन इन घरों की हालत इतनी बुरी थी कि ज्यादातर गरीबों ने इन घरों को लेने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं झुग्गी झोपड़ी में रहने वाला परिवार भी इन घरों को नहीं लेता था। देश में यूपीए के कार्यकाल में बने दो लाख घर ऐसे थे, जिनको लेने के लिए कोई तैयार ही नहीं हुआ।
2015 में हुई थी योजना की शुरूआत
देश के हर गरीब को घर दिलाने के उद्देश्य से 25 जून 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की गई थी। योजना के अंतर्गत लाभार्थी को घर बनाने के लिए सब्सिडी दी जाती है। सब्सिडी की राशि आय के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। इतना ही नहीं लोन को चुकाने के लिए 20 साल दिए जाते हैं। जिस पर ब्याज की दर बहुत कम होती है। योजना को शहरी और ग्रामीण दो भागों में बांटा गया है।
जनता की उम्मीदों पर खरी उतरी मोदी सरकार
जनता ने नौ साल पहले प्रचंड बहुमत के साथ जो सरकार चुनी थी, वह उनकी उम्मीदों पर खरा उतरी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिना रूके 24 घंटे जनता के हितों के लिए काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने सुशासन संकल्प के साथ गरीबों और वंचितों को समाज में सम्मान सुरक्षा दिलाने का वादा किया था, जिसको उन्होंने पूरा करके दिखाया है।
(लेखिका- पूर्व मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता हैं।)