स्वाती सिंह
नरेन्द्र मोदी सरकार में भारतीय रेलवे आधुनीकीकरण की दिशा में तेज गति से आगे बड़ रही है और प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया के सपने को साकार करने में अग्रसर है। इसी के अन्तर्गत देश भर के रेलवे स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए उनके पुनर्विकास का कार्य जोर-शोर से किया जा रहा है। प्रधानमंत्री देश के तीन रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास कर यात्रियों के सामने नए भारत की संकल्प शक्ति दिखा चुके हैं। ये गांधी नगर का कैपिटल स्टेशन, भोपाल का रानी कमलापति स्टेशन और बेंगलुरु का सर एम विश्वेश्वरैया स्टेशन हैं। तीनों स्टेशन आधुनिक भारत की भव्य तस्वीर को पेश करते हैं। इन स्टेशनों पर यात्रियों के लिए अत्याधुनिक सुविधाए विकसित की गई हैं।
स्टेशन में स्थानीय विरासत की झलक
इसी राह पर देश के 508 रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास करने की शुरूआत हो गई है। लगभग 25,000 करोड़ रुपये की लागत से किया जाने वाला पुनर्विकास देश में रेल बुनियादी ढांचे की कल्पना में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। इन सभी स्टेशन के नए डिजाइन स्थानीय संस्कृति और विरासत पर आधारित होंगे। यहां एयरपोर्ट की तरह मल्टीलेवल पार्किंग, प्रवेश और निकास के अलग-अलग द्वार, सुंदर एग्जीक्यूटिव लाउंज, यात्री प्रतिक्षालय होंगे। सीसीटी से निगरानी और मुफ्त वाई-फाई की सुविधा होगी। लिफ्ट और एस्केलेटर से बुजुर्ग और दिव्यांग यात्रियों की यात्रा सुखद होगी। देश भर में आकांक्षाओं तक यह क्रांति पहुंचेगी, जोकि अमृत काल में हर क्षेत्र के बाकी स्टेशनों के लिए प्रेरणा होगी। इसलिए प्रधानमंत्री ने अमृत काल में नए भारत के सपने को अमृत भारत स्टेशन नाम दिया है, जो भारत की महानता, समानता और आधुनिकता का प्रतीक है।
हरित भवन के मानक पर स्टेशनों का विकास
अमृत स्टेशन पर्यावरण को भी पीछे नहीं छोड़ेंगे। मोदी सरकार निकट भविष्य में हर रेलवे स्टेशन से ग्रीन एनर्जी का उत्पादन करने पर काम कर रही है। पिछले 9 साल में सौर पैनलों से बिजली पैदा करने वाले स्टेशनों की संख्या 1200 से ज्यादा हो गई है। इसी को ध्यान में रखकर अमृत भारत स्टेशनों का विकास हरित भवनों के मानकों को पूरा करने के नजरिए से किया जाएगा। केंद्र सरकार इस लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही है कि 2030 तक भारत ऐसा देश बन जाए, जहां रेलवे नेटवर्क शुद्ध शून्य उत्सर्जन पर चलेगा।
यातायात के हर साधन एक ही छत के नीचे
अमृत भारत स्टेशन स्टेशन सिर्फ रेलवे की सुविधाओं तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि मल्टी मार्डन कनेक्टविटी का हब होंगे यानी मेट्रो, बस, टैक्सी ऑटो और यातायात के हर साधन यहां एक ही छत के नीचे जुड़े रहेंगे। यात्रियों की सुविधाओं और बेहतर मार्गदर्शन के लिए एक समान साइन एज बोर्ड लगाये जायेंगे। अमृत स्टेशन प्रतिष्ठित संरचना के साथ सिटी सेंटर भी बनेंगे। यहां भव्य रूफ प्लाजा, शॉपिंग काम्पलेक्स, बच्चों के लिए गेमिंग जोन और फूड कोटर्स की सुविधा होगी। अमृत स्टेशन के जरिए ये सारी खुशियां और सुविधाएं छोटे शहरों के लोगों का भी अधिकार होंगीं। अमृत भारत स्टेशन प्रधानमंत्री के परिश्रम पर देश के विश्वास का प्रतीक है।
सपना बड़ा तो फंड भी बड़ा
जो रेलवे बजट 2013-2014 में 65 हजार करोड़ का हुआ करता था, वह आज मोदी सरकार में 2.5 लाख करोड़ का है। जिसमें से 508 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए लगभग 25 हजार करोड़ रूपए दिए जा रहे हैं। ये स्टेशन 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं। इनमें सबसे ज्यादा स्टेशन उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हैं। इन दोनों ही राज्यों में 55-55 स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है। उसके बाद बिहार में 49, महाराष्ट्र में 44, पश्चिम बंगाल में 37, मध्य प्रदेश में 34 और असम में 32 स्टेशन हैं।
इनके अलावा इस योजना की सूची में ओडिशा में 25, पंजाब में 22, गुजरात में 21, तेलंगाना में 21, झारखंड में 20, आंध्र प्रदेश में 18, तमिलनाडु में 18, हरियाणा में 15 और कर्नाटक में 13 स्टेशन हैं। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश और राजस्थान में लगभग 4,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी। वहीं महाराष्ट्र में 1,500 करोड़ रुपये और मध्य प्रदेश में करीब 1,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
2030 तक नेट जीरो पर चलेगी भारतीय रेलवे
“2030 तक भारत एक ऐसा देश होगा जिसकी रेलवे नेट ज़ीरो उत्सर्जन पर चलेगी। हमारा जोर भारतीय रेलवे को आधुनिक बनाने के साथ ही पर्यावरण फ्रेंडली बनाने पर भी है। जल्द भारत के शत प्रतिशत रेलवे ट्रैक इलैक्ट्रीफाइड होने जा रहे हैं। बिजली बनाने वाले रेलवे स्टेशनों का संख्या भी 1200 से ज्यादा हो गई है। मोदी सरकार का लक्ष्य यही है कि आने वाले समय में सभी स्टेशन ग्रीन एनर्जी बनाए।”
रेलवे को उन्नत और बेहतर करने में जुटी सरकार
भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है। इस लिहाज से अगले 25 साल को केंद्र सरकार की ओर से अमृत काल कहा गया है। भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में रेलवे की बड़ी भूमिका रहने वाली है। बुनियादी ढांचे को मजबूत किए बिना इस लक्ष्य को हासिल करना मुमकिन नहीं है। उसी के तहत मोदी सरकार देश में सार्वजनिक परिवहन के सबसे बड़े साधन रेलवे को भी आधुनिक तकनीक के लिहाज से उन्नत और बेहतर करने में जुटी है। रेलवे को आधुनिक बनाने के लिए जितने भी प्रयास किए जा रहे हैं, उसी का एक हिस्सा है देश के हर इलाके के रेलवे स्टेशनों को नया लुक देना, ताकि भविष्य की जरूरतों के हिसाब से स्टेशनों को तैयार किया जा सके। ऐसे स्टेशनों को अमृत भारत स्टेशन का नाम दिया गया है।
1300 प्रमुख स्टेशनों की बदलेगी तस्वीर
मोदी सरकार इस योजना के तहत देश के करीब 1300 प्रमुख स्टेशनों को आधुनिकता के पैमाने पर पुनर्विकसित कर रही है। ये स्टेशन अमृत भारत रेलवे स्टेशन के तौर पर विकसित किए जाएंगे। इनमें से 508 अमृत भारत स्टेशनों के पुनर्विकास की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 6 अगस्त को रख चुके हैं। भारत में बुनियादी ढांचे के विकास के नजरिए से ये एक बड़ा सरकारी अभियान है। रेलवे की इस बेहतरी का हर प्रदेश के लोग फायदा उठा सकेंगे।
रेलवे ने 9 साल में की अभूतपूर्व प्रगति
पिछले नौ साल में देश में रेलवे ने अभूतपूर्व प्रगति की है। इस अवधि में ब्रिटेन, स्वीडन, यूक्रेन, पोलैंड और दक्षिण अफ्रीका में जितनी पटरियां बिछाई गई है, अगर उन सबको मिला दें, तो उससे भी ज्यादा भारत में बिछाई गई हैं। पिछले एक वर्ष में ही जितनी पटरियां भारतीय रेलवे ने बिछाई है, वो ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया के संयुक्त रेलवे नेटवर्क से भी ज्यादा है।
(लेखिका- पूर्व मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता हैं।)