(अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन 25 दिसम्बर पर विशेष)
उपेन्द्र नाथ राय
भारत में जमीनी स्तर पर उतरकर विकास करने के जनक के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया जाएगा। भारत के लोग यह कभी नहीं भूल सकते कि अटल जी की सोच का ही परिणाम था, जिससे आज हर गांव तक सड़क पहुंच गयी। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री के रुप में दूसरे शासनकाल में 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर ग्रामीण विकास मंत्रालय ने शुरू की थी। इस योजना के तहत सात लाख किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया है, जो पूरे भारत में 180,000 से अधिक बस्तियों को जोड़ती हैं।

नई सोच के साथ ग्रामीण विकास के जनक के रूप में सदा याद किये जाएंगे अटल जी https://shagunnewsindia.com/atal-ji-will-always-be-remembered-as-the-father-of-rural-development-with-new-thinking/

भारत भर के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की शुरुआत की गई। इसके अन्तर्गत दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुम्बई को राजमार्गों से जोड़ा गया। ऐसा माना जाता है कि अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ इतना केवल शेरशाह सूरी के समय में ही हुआ था।

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अटल जी दिल से ज्यादा काम लेते थे। कवि हृदय होने के कारण उनमें दया की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। सहज स्वभाव था, लेकिन वक्त आने पर राष्ट्र हित में कड़ा फैसला लेने से भी उन्होंने कभी पीछे कदम नहीं खींचा। विश्व का दबाव पड़ने के कारण कांग्रेस ने परमाणु परीक्षण का अगला चरण पूरा नहीं किया था, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने पोखरण में यह परीक्षण कराकर खुद को अपने देश हित में निर्णय लेने का प्रमाण दिया।
अटल सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न देश घोषित कर दिया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया कि अति विकसित जासूसी उपग्रहों व तकनीक से सम्पन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यही नहीं इसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबन्ध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊँचाईयों को छुआ।
पाकिस्तान से उन्होंने अच्छे व्यवहार बनाने की कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान ने जब कारगिल में घुसपैठियों को भेजकर अपने नापाक इरादों को जताने की कोशिश की तो अटल जी ने अपनी सेना को तुरंत मुंहतोड़ जवाब देने के लिए आदेश देने में हिचक नहीं किया और पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अन्तरराष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक किन्तु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया। इस युद्ध में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण भारतीय सेना को जान माल का बहुत नुकसान हुआ और पाकिस्तान के साथ शुरु किए गए सम्बन्ध सुधार एकबार पुनः शून्य हो गए।
25 दिसम्बर 1924 को जन्में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी निश्चय ही भारत के अमूल्य धरोहर थे। उन्होंने प्रधानमंत्री का पद तीन बार संभाला है। वे हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदिअनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।
वह चार दशकों से भारतीय संसद के सदस्य थे, लोकसभा, निचले सदन, दस बार, और दो बार राज्य सभा, ऊपरी सदन में चुने गए थे। उन्होंने लखनऊ लिए संसद सदस्य के रूप में कार्य किया, 2009 तक उत्तर प्रदेश जब स्वास्थ्य सम्बन्धी चिन्ताओं के कारण सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्त हुए। अपना जीवन आरएसएस के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ करने वाले वाजपेयी राजग सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 वर्ष बिना किसी समस्या के पूरे किए। आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने के कारण इन्हे भीष्मपितामह भी कहा जाता है। उन्होंने 24 दलों के गठबन्धन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। वाजपेयी प्रधानमन्त्री पद पर पहुँचने वाले मध्यप्रदेश के प्रथम व्यक्ति थे।
सन् 1952 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सन् १९५७ में बलरामपुर से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। सन् १९५७ से १९७७ तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मन्त्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनायी।
1980 में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। छह अप्रैल 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया।दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए।
यही नहीं विवादों को सुलझाने में भी अटल जी का कोई जोड़ नहीं था। एक सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को उन्होंने सुलझाया। संरचनात्मक ढाँचे के लिये कार्यदल, सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, विद्युतीकरण में गति लाने के लिये केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग आदि का गठन किया। राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये। राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति भी गठित कीं। आवश्यक उपभोक्ता सामग्रियों के मूल्यों को नियन्त्रित करने के लिये मुख्यमन्त्रियों का सम्मेलन बुलाया। उड़ीसा के सर्वाधिक निर्धन क्षेत्र के लिये सात सूत्रीय निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया। आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त किया।
अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी थे। वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले हैं। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे। वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे। पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा है। उनकी सर्व प्रथम कविता ताजमहल थी। इसमें श्रृंगार रस के प्रेम प्रसून न चढ़ाकर “एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक” की तरह उनका भी ध्यान ताजमहल के कारीगरों के शोषण पर ही गया। वास्तव में कोई भी कवि हृदय कभी कविता से वंचित नहीं रह सकता।
अटल जी ने किशोर वय में ही एक अद्भुत कविता लिखी थी ”हिन्दू तन-मन हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय”, जिससे यह पता चलता है कि बचपन से ही उनका रुझान देश हित की तरफ था। राजनीति के साथ-साथ समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता आद्योपान्त प्रकट होती ही रही है। उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियाँ, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पायी।